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 नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने भूमि अधिसूचना रद्द करने के मामलों में कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ मुकदमा चलाने से संबंधित मामले को बड़ी पीठ के समक्ष भेजने का सोमवार को निर्णय लिया।
न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने संबंधित मुद्दा के एक बड़ी पीठ के समक्ष विचाराधीन होने का हवाला देते हुए अपना आदेश सुनाने से परहेज किया। पीठ ने कहा कि न्यायिक अनुशासन और औचित्य बनाए रखने के लिए मामले को उचित आदेश के वास्ते मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखने का आदेश दिया गया है।
न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा, “जब हम इस फैसले पर काम करना शुरू करने वाले थे, तो हमें पता चला कि 16 अप्रैल, 2024 को 'शेमिन खान बनाम देबाशीष चक्रवर्ती और अन्य' में एक समन्वय पीठ द्वारा पारित एक और आदेश है, जिसमें इसी मुद्दे को एक बड़ी पीठ को भेजा गया है।”
उन्होंने पीठ की ओर से कहा, “इस हालत में, जब दो अदालतों ने मामले को बड़ी पीठ को भेजा है, तो हमें लगा कि यह जरूरी है। इसलिए हमने इसे भी बड़ी पीठ के समक्ष भेजा है।” पीठ ने कहा कि यहां संदर्भ केवल औचित्य के आधार पर दिया गया है।
पीठ ने कहा, “हमें इस अदालत की एक समन्वय पीठ द्वारा 16 अप्रैल, 2024 को जारी एक आदेश मिला। फिर हमने पूरे आदेश को फिर से प्रस्तुत किया।” पीठ ने कहा कि न्यायिक अनुशासन बनाए रखने के लिए, इस अदालत ने एक बड़ी पीठ के संदर्भ में मुद्दे पर आगे निर्णय लेने से परहेज किया।
पीठ ने आगे कहा, “हमने इन याचिकाओं को संदर्भित मामले मंजू सुराना बनाम सुनील अरोड़ा और अन्य से जोड़ना उचित समझा। 
शीर्ष अदालत ने रजिस्ट्री को इन मामलों को उचित आदेश के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। यह मामला मुख्य रूप से भ्रष्टाचार के मामले में लोक सेवक के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पूर्व स्वीकृति की प्रयोज्यता से संबंधित है। शीर्ष न्यायालय ने चार अप्रैल, 2025 को मामले को निर्णय के लिए सुरक्षित रख लिया था।