
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पहलगाम की कायराना हरकत के खिलाफ देश को एकजुट बताते हुए पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा है कि न केवल यह हमला करने वालों बल्कि पर्दे के पीछे से भारत की धरती पर इस तरह की नापाक हरकत करने की साजिश रचने वालों को जल्द ही उचित जवाब दिया जायेगा।
श्री सिंह ने बुधवार को यहां वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह की स्मृति में एक व्याख्यान देते हुए आतंकवाद को कतई न बर्दाश्त करने के भारत के दृढ़ संकल्प को दोहराया और कहा कि मोदी सरकार हर आवश्यक और उचित कदम उठाएगी।
उन्होंने देशवासियों को भरोसा दिलाया पहलगाम में निर्दोष नागरिकों पर कायराना आतंकवादी हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को जल्द ही भारतीय धरती पर उनके नापाक कृत्यों का मुंहतोड़ जवाब मिलेगा।
रक्षा मंत्री ने कहा, “ भारत एक पुरानी सभ्यता है और इतना बड़ा देश कभी भी किसी भी तरह की आतंकी गतिविधियों से भयभीत नहीं हो सकता। इस कायराना हरकत के खिलाफ हर भारतीय एकजुट है। न केवल हमला करने वालों को बल्कि पर्दे के पीछे से भारतीय धरती पर इस तरह की नापाक हरकत करने की साजिश रचने वालों को भी जल्द ही उचित जवाब मिलेगा। ”
सीमा पार से समर्थित आतंकवादी घटनाओं के संदर्भ में रक्षा मंत्री ने कहा, “ इतिहास गवाह है कि राष्ट्रों का पतन दुश्मन की कार्रवाई के कारण नहीं बल्कि उनके अपने कुकर्मों के परिणामस्वरूप हुआ है। मुझे उम्मीद है कि सीमा पार के लोग इतिहास के सबक को और करीब से देखेंगे।” उन्होंने आतंकी हमले में अपने प्रियजनों को खोने वाले परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा, “आतंकवादियों द्वारा धर्म को निशाना बनाकर किए गए कायराना हमले में हमारे देश ने कई निर्दोष नागरिकों को खो दिया है। इस अत्यंत अमानवीय कृत्य ने हमें बहुत पीड़ा में डाल दिया है। दुख की इस घड़ी में मैं दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं।”
बाद में रक्षा मंत्री ने भारतीय वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके नेतृत्व, दूरदर्शिता और समर्पण को अविश्वसनीय बताया। उन्होंने कहा, “ वे एक दूरदर्शी सैन्य नेता थे, जो आज भी युवाओं को प्रेरित करते हैं। अगर आज भारतीय वायुसेना दुनिया की सबसे मजबूत वायु सेनाओं में से एक है, तो यह भारतीय वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह जैसे सैन्य नेताओं की दूरदर्शिता और लोकाचार की वजह से है।”
श्री सिंह ने भारतीय वायुसेना की यात्रा को एक महत्वाकांक्षी, प्रेरणादायक और परिवर्तनकारी महाकाव्य बताते हुए कहा कि यह न केवल आसमान छूने के बारे में है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के सपनों को हकीकत में बदलने के बारे में भी है। उन्होंने कहा कि चुनौतियों के बावजूद, भारतीय वायुसेना स्वतंत्रता के बाद और मजबूत हुई है और आज एक मजबूत स्तंभ के रूप में राष्ट्रीय सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार का ध्यान आत्मनिर्भर रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के आधार पर सशस्त्र बलों में बदलाव पर है। उन्होंने क्षेत्र में भारतीय वायुसेना को एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित करने की प्रतिबद्धता दोहराई और कहा कि आत्मनिर्भरता की ओर यात्रा एक साझा जिम्मेदारी है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रतिबद्धता, सहयोग और एकीकृत दृष्टिकोण समय की मांग है। उन्होंने कहा कि अगर भारतीय वायुसेना अच्छी तरह से सुसज्जित और उच्च तकनीक उन्मुख है तो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और मजबूत होगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि आयात पर निर्भरता के माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती है और सरकार रक्षा संप्रभुता हासिल करने की दिशा में अथक प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि देश में रक्षा उपकरणों के निर्माण पर जोर दिया जा रहा है और रक्षा मंत्रालय के प्रयासों से सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। उन्होंने तेजस, ध्रुव, प्रचंड, आकाश और ब्रह्मोस एयर डिफेंस हथियारों को भारतीय डिजाइनरों, इंजीनियरों और वैज्ञानिकों की क्षमता के शानदार उदाहरण बताया। रक्षा मंत्री ने कहा, “आज रक्षा विनिर्माण में न केवल सार्वजनिक क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है, बल्कि निजी क्षेत्र भी बड़े उत्साह के साथ भाग ले रहा है। रक्षा उत्पादन का क्षेत्र जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी-उन्मुख होता जा रहा है, स्टार्ट-अप और एमएसएमई की भूमिका भी तेजी से बढ़ रही है। ये रक्षा नवाचार की रीढ़ साबित हो रहे हैं। आने वाले समय में उच्च तकनीक वाले युद्ध में निजी क्षेत्र, स्टार्ट-अप और एमएसएमई की भूमिका और भी अधिक बढ़ने वाली है।”
भारतीय वायुसेना की जरूरतों के मद्देनजर एयरो-इंजन विकास को सरकार की प्राथमिकता वाला क्षेत्र बताते हुए श्री सिंह ने कहा कि प्रयास है कि इंजन को पूर्ण बौद्धिक संपदा अधिकारों के साथ सह-विकास और सह-उत्पादन के मॉडल पर भारत में ही बनाया जाए। उन्होंने कहा कि पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान और एलसीए मार्क-2 के विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एस्ट्रा मार्क-2, प्रलय, स्मार्ट, एंटी-फील्ड हथियार, एनजी एंटी-रेडिएशन मिसाइल और बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली सहित कई वायु रक्षा प्रणालियों पर काफी हद तक आत्मनिर्भरता हासिल की जा चुकी है और ये उत्पादन और विकास के विभिन्न चरणों में हैं। रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि 21वीं सदी में एशिया में शक्ति गतिशीलता के बदलाव के कारण, हिंद-प्रशांत क्षेत्र रणनीतिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में उभरा है और सरकार जटिल चुनौतियों का समाधान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
राजनाथ ने भी तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ चर्चा की
नयी दिल्ली। जम्मू- कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकवादी हमले के बाद राजधानी दिल्ली और श्रीनगर में कई उच्च स्तरीय बैठकों में स्थिति की समीक्षा तथा उससे निपटने की रणनीति पर चर्चा की जा रही है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कुछ देर पहले सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बुधवार को यहां महत्वपूर्ण बैठक की।
सूत्रों के अनुसार दो घंटे से भी अधिक समय तक चली बैठक में जम्मू कश्मीर की स्थिति की समीक्षा और आतंकवादी हमले के बाद उत्पन्न स्थिति से निपटने की रणनीति पर विस्तार से चर्चा की गयी।
इससे पहले सऊदी अरब की यात्रा अधूरी छोड़ कर सुबह ही दिल्ली लौटे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को उच्च स्तरीय बैठक में पहलगाम हमले की विस्तार से जानकारी ली।
बैठक में विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश सचिव विक्रम मिश्री तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। बैठक में श्री मोदी को विदेश मंत्री और सुरक्षा सलाहकार ने मौजूदा स्थिति तथा हमले के संबंध में विस्तार से जानकारी दी।
उधर केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह मंगलवार से ही श्रीनगर में बैठकें कर स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने आज हमले में मारे गये लोगों को श्रद्धांजलि दी तथा उनके परिजनों से मुलाकात कर दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया। उन्होंने आतंकवादी हमले की जगह का भी दौरा किया।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए श्री शाह के श्रीनगर से वापस लौटने के बाद शाम को सुरक्षा मामलों की मंत्रिमण्डलीय समिति की बैठक भी बुलाई गयी है।