
0 द्विपक्षीय समझौते भी स्थगित होंगे
0 कहा- भारत ने सिंधु जल रोका तो यह जंग जैसा होगा
इस्लामाबाद। पहलगाम हमले के बाद भारत के कड़े फैसलों के जवाब में पाकिस्तान ने दोनों देशों के बीच सभी द्विपक्षीय समझौते स्थगित करने की बात कही है। इसमें 1972 का शिमला समझौता भी शामिल है।
पाकिस्तान की नेशनल सिक्योरिटी कमेटी (एनसीएस) में गुरुवार को ये फैसले लिए गए। इसकी अध्यक्षता पीएम शहबाज शरीफ ने की। एक दिन पहले भारत ने भी सिंधु जल समझौता स्थगित करने समेत 5 बड़े फैसले लिए थे।
पाकिस्तान ने कहा कि अगर भारत सिंधु जल समझौते को रोकता है तो इसे एक्ट ऑफ वॉर यानी जंग की तरह माना जाएगा। पाकिस्तान ने कहा, पाकिस्तान की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए किसी भी खतरे का सभी क्षेत्रों में मजबूती से जवाब दिया जाएगा। हम किसी भी आतंकवादी गतिविधि की निंदा करते हैं। पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक एनसीएस की बैठक में कहा गया कि भारत में वक्फ विधेयक को जबरन पारित कराया गया, यह मुसलमानों को हाशिए पर डालने का प्रयास है।
क्या है शिमला समझौता?
शिमला समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच 2 जुलाई 1972 को हुआ था। इस द्विपक्षीय समझौते पर भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति (बाद में प्रधानमंत्री बने) जुल्फिकार अली भुट्टो ने साइन किए थे। यह समझौता 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद हुआ था। इस युद्ध में पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा था और उसके 90,000 से ज्यादा सैनिक भारत के कब्जे में थे।
शिमला समझौते की अहम बातें
0 दोनों देश आपसी विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाएंगे और युद्ध या बल प्रयोग से परहेज करेंगे।
0 सभी मुद्दे द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से हल किए जाएंगे। किसी तीसरे पक्ष यानी देश या संस्था (जैसे यूएन) की मध्यस्थता नहीं होगी।
0 वापसी की प्रक्रियाः युद्ध में कब्जा किए गए क्षेत्रों की वापसी होगी और भारत पाकिस्तानी युद्धबंदियों को छोड़ेगा। (भारत ने लगभग 13,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वापस किया और सभी युद्ध बंदियों को रिहा किया।)
0 दोनों देशों ने 1949 के युद्ध विराम रेखा को नए नाम से, यानी लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) के तौर में स्वीकार किया।
भारत ने देर रात पाकिस्तानी राजनयिक को 'पर्सोना नॉन ग्राटा' नोट सौंपा
भारत सरकार ने बुधवार देर रात पाकिस्तान के शीर्ष राजनयिक साद अहमद वराइच को दिल्ली में तलब किया और उनके सैन्य राजनयिकों के खिलाफ 'पर्सोना नॉन ग्राटा' का आधिकारिक नोट सौंपा। उन्हें एक सप्ताह के भीतर भारत छोड़ना होगा। 'पर्सोना नॉन ग्राटा' का मतलब 'अवांछनीय व्यक्ति' है। यह एक लैटिन शब्द है। इसका उपयोग ऐसे व्यक्ति के लिए किया जाता है, जिसे किसी देश में रहने या आने की अनुमति नहीं है। यह आमतौर पर डिप्लोमैटिक मामलों में इस्तेमाल किया जाता है।