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0 कर्नाटक के कारवाड़ में बेस रहेगा
0 अजंता की पेंटिंग से प्रेरणा, लकड़ी-रस्सी से बनाया

नई दिल्ली। सिलकर बनाया गया शिप इंडियन नेवल सेलिंग वेसल (आईएनएसवी) कौंडिन्य आज इंडियन नेवी के जहाजी बेड़े में शामिल हो गया। कारवाड़ नेवल बेस पर आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत शामिल हुए।

इसका नाम भारतीय नाविक कौंडिन्य के नाम पर रखा गया है। उन्होंने हिंद महासागर को पार करके साउथ-ईस्ट एशिया की यात्रा की थी। नौसेना के प्रवक्ता ने बताया कि साल के अंत में यह गुजरात से ओमान तक के पारंपरिक ट्रेड रूट पर ट्रांस-ओशनिक यात्रा करेगा। आधुनिक वेसल (पोत) से अलग इस सिले हुए जहाज में चौकोर पाल और स्टीयरिंग बोर्ड लगा है। स्टीयरिंग बोर्ड का उपयोग पतवार के आविष्कार से पहले जहाज को कंट्रोल करने के लिए किया जाता था। इसके अलावा शिप के पाल पर गंधभेरुंड (दैवीय पक्षी) और सूर्य की आकृतियां हैं। उसके बो पर नक्काशीदार शेर और डेक पर हड़प्पा शैली का पत्थर का लंगर लगाया गया है। 

संस्कृति मंत्रालय ने फंडिंग की, 2 साल में तैयार हुआ
सिलाई तकनीक से जहाज बनाने के प्रोजेक्ट में संस्कृति मंत्रालय, नौसेना और होदी इनोवेशन शामिल थे। इनके बीच जुलाई, 2023 में समझौता हुआ था। संस्कृति मंत्रालय ने इसके लिए फंड दिया था। 12 सितंबर, 2023 को जहाज की कील बिछाने का काम हो गया था। केरल के कारीगरों ने इसे बनाने में पूरी तरह से पारंपरिक तरीकों और कच्चे माल का इस्तेमाल किया। मास्टर शिपराइट बाबू शंकरन के नेतृत्व में हजारों कारीगरों ने हाथ से सिले हुए जोड़ बनाए। शिप फरवरी, 2025 में गोवा के होदी शिपयार्ड में लॉन्च किया गया था। नौसेना ने बताया था कि इस जहाज को बनाने में लकड़ी, नारियल के रेशों वाली रस्सी और सिंथेटिक का इस्तेमाल किया गया। यह अजंता गुफाओं की एक पेंटिंग से प्रेरित था। यह हमारे आधुनिक जहाज बनाने के इतिहास में एक दुर्लभ उपलब्धि है। 

दुनिया के किसी भी नौसैनिक जहाज से अलग
नौसेना ने​​​​​​ होदी इनोवेशन और पारंपरिक कारीगरों की मदद से कॉन्सेप्ट डेवलपमेंट से लेकर डिजाइन, टेक्निकल वेलिडेशन और कंस्ट्रक्शन तक पूरे प्रोजेक्ट की देखरेख की है। इसके डिजाइन और कंस्ट्रक्शन में कई तरह की टेक्निकल चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा। कोई भी पुराना ब्लूप्रिंट या अवशेष न होने के कारण इसकी डिजाइन करना आसान नहीं था। सिले हुए पतवार, लकड़ी के पुर्जे और पारंपरिक स्टीयरिंग मैकेनिज्म से तैयार यह जहाज दुनिया में कहीं भी नौसेना में मौजूद किसी भी जहाज से अलग है। इस प्रोजेक्ट के दूसरे फेज में इस शिप को पारंपरिक समुद्री ट्रेड रूट पर चलाया जाएगा।गुजरात से ओमान तक शिप की पहली समुद्री यात्रा की तैयारियां पहले से ही चल रही हैं।

भारतीय नौसेना ने यूट्यूब पर जारी किए वीडियो में हाथ से सिले जहाज की कई तस्वीरें शेयर की हैं। अभी तक इसका नाम का खुलासा नहीं हुआ है।