
0 आपरेशन सिंदूर पर चर्चा करते हुए राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा
नई दिल्ली। आपरेशन सिंदूर पर चर्चा करते हुए राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि लीडरशिप का मतलब है जिम्मेदारी लेना, न कि किसी को दोष देना। वो (मोदी) जवाब नहीं देंगे, वो अपने दोस्तों मंत्रियों को छोड़ दिए हैं, उनसे कहेंगे कि जाओ जो कहना है कहो। 11 साल में कभी बहस में शामिल नहीं होते।
एक व्यक्ति को इतना बढ़ावा मत दो, भगवान मत बनाओ। लोकतांत्रिक रूप से आया है, उसे इज्जत दो, पूजा मत करो। इससे देश का नुकसान होता है। राजनीति में भक्ति तानाशाही की तरफ ले जाती है। मैं 60 साल से राजनीति में हूं लेकिन मुझे गद्दार कहा गया। हमारे लोग गद्दार हैं, शर्म आनी चाहिए। अगर ये बात है तो गद्दार आप हैं। विपक्ष को बदनाम करना आपका चाल और चरित्र है।
उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले पर कारगिल की तरह एक रिपोर्ट तैयार करें और बताएं। हर चीज को छिपाते रहेंगे तो कैसे चलेगा। ये भी आप करने को तैयार नहीं हैं। ये देश के इंटरेस्ट में हैं। हम आपका अपमान नहीं कर रहे हैं, लेकिन देश बड़ा है, इसलिए मिलकर काम करें। अपने फैलियर के लिए कांग्रेस को क्लेम करना बंद करो।
सरकार और सेना के बयान अलग-अलग
30 मई 2025 को सीडीएस जनरल अनिल चौहान सिंगापुर में बोले- ऑपरेशन सिंदूर के पहले 2 दिन में टैक्टिकल मिस्टेक हुईं। जब आपके लोग बाहर बोलते हैं, तो इसके बारे में आपकी क्या राय है। 30 जून को इंडोनेशिया में डिफेंस अटैची ने कहा कि पॉलिटिकल कंसेंट्स ने मिलिट्री इंटेलिजेंस को हैम्पर किया, सरकार ने सेना की मदद नहीं की। दूसरी तरफ आप कहते हैं कि 100 किमी अंदर घुसकर हमने ये किया। आपके सेना के अधिकारी बोल रहे हैं, हमको कुछ करने ही नहीं दिया। 4 जुलाई को सेना प्रमुख ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में भारत, पाकिस्तान से नहीं चीन से ही लड़ रहा था। खेलो 'झूले में खेलो' उनके साथ, अहमदाबाद में 'झूले में खेलो' उनके साथ। ये वही चीन है, जिसे मोदी जी ने गलवान के बाद क्लीन चिट दी थी। तब पीएम ने कहा था कि न तो कोई घुसा है न घुस आया है। 19 जून 2020 को पीएम ने यह बात कही थी।
मैं पूछना चाहूंगा कि हमारे सेना अधिकारियों के स्टेटमेंट पर उनका क्या कहना है। रक्षा मंत्री का कहना क्या है। ये जो सब मैंने कागज दिखाए, तो ये सब क्या हैं। हमें सभी जानकारी मीडिया से मिल रही थीं।
असल में किसी भी जानकारी को पहले संसद के सामने रखना चाहिए, खासकर संवेदनशील मुद्दों पर हमें अवगत कराएंगे, देश के बारे में जो हमें नहीं कहना है, तो उसका ध्यान रहेगा। सेंसेटिव मैटर की चर्चा के लिए हम विशेष सत्र की मांग कर रहे थे। उस वक्त आप सभी ने कहा कि हम इस बात को खारिज कर दिया।
मोदी जी इवेंटबाजी से काम नहीं चलता
मैं अब सीधे-सीधे दो चार प्रश्न पूछूंगा तो उम्मीद करता हूं जवाब देंगे। किन शर्तों पर ये सीजफायर हुआ। आपने इसे क्यों स्वीकार किया। क्या यूएसए ने इसमें हस्तक्षेप किया अगर हां तो क्यों और किसके कहने पर किया। क्या यूएस प्रेसिडेंट ने यह सीजफायर किया जैसा वो बार-बार कह रहे हैं, अगर हां तो क्या यह भारत की तीसरी पार्टी पॉलिसी के खिलाफ नहीं है? विदेश मंत्री तो चले गए लेकिन मैं रक्षामंत्री को सुनाना चाहता हूं कि पहलगाम के बाद मोदी जी का यह सच सामने आ गया कि इवेंटबाजी से काम नहीं चलता। जिनको आप विश्व गुरु मानते हैं। इंदिरा, नेहरू से तुलना होती है। ट्रम्प से दोस्ती है। इसलिए हमारे चेयरमैन साहब चले गए। फॉरेन पॉलिसी का सच सामने आ गया। इवेंटबाजी बंद करो। यह बताता है कि आपके साथ आने वाला कोई नहीं है। इतिहास में पहली बार अमेरिकी प्रेसिडेंट ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख को खाने पर बुलाया। पाकिस्तान को पक्का साथी बताया। कोई आपका दोस्त बनने तैयार नहीं है तो आप गले मिल रहे, फोटो खिंचवा रहे हैं, क्यों। सीजफायर के बाद आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक ने पाकिस्तान को फंड दिया। भारत ने इसका विरोध क्यों नहीं किया। वही पैसा आतंकियों को जाता है। यह भी आपने कहा है। पीएम चुप क्यों हैं... क्यों इसका विरोध नहीं कर रहे हैं? हम तो आपके साथ हैं। इतने लोग से दोस्ती तुमने बनाई, लेकिन उन्होंने उल्टा तुम्हारे दुश्मन को पैसे और दूसरी चीजों से मदद दी।
ट्रम्प ने बार-बार कहा उन्होंने युद्ध रुकवाया
अब मैं सीजफायर पर कहूंगा कि पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया। हम फ्रंटफुट पर थे, पाकिस्तान ने घुटने टेक दिए थे। ऐसा आपका कहना है। जब सरकार की तरफ से बयान आता है तो हम समझते हैं कि सब सही होगा। फिर युद्ध विराम की घोषणा हुई। यह पीएम, विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री ने नहीं की, बल्कि अमेरिकी प्रेसिडेंट ट्रम्प ने की। उन्होंने दावा किया कि मैंने भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवाया। सभी ने सुना। इसके बाद भी ऐसा हो रहा है कि मानने तैयार नहीं हैं। ट्रम्प एक या दो बार नहीं 29 बार यही बात दोहरा चुके हैं। मेरा भाषण खत्म होने तक 30 हो जाएगा। उन्होंने बार बार यही कहा कि ट्रेड की शर्त पर यह युद्धविराम किया। कौन है वो महाशय जो देश बेचना चाहता है। और कौन है ऐसा देशभक्त, अडाणी के पीछे कौन है...बार बार यह भी कहा कि उन्होंने ट्रेड का इस्तेमाल कर युद्ध रुकवाया।
भाजपा के नेता कटे-पिटे वाले बयान देते हैं
लोग कहते हैं कि संसद के बाहर ऐसे लोगों पर एक्शन क्यों नहीं होता फिर हमसे कहते हैं कि आप संसद में यह मुद्दा क्यों नहीं उठाते। ऐसे लोगों को पार्टी की तरफ से सजा देनी चाहिए। एमपी के नेता ने कहा था जिन लोगों ने हमारी बेटियों के सिंदूर को उजाड़ा था, उन्हीं कटे-पिटे लोगों की बहन भेजकर हमने उनकी ऐसी की तैसी की। अगर विपक्ष की तरफ से ऐसा कोई बयान आता है कि कहते हैं कि देशद्रोही हैं। क्या नड्डा साहब आप इसको बाहर निकालेंगे। जब सुप्रीम कोर्ट ने इसका विरोध किया है। आपके पास तो ईडी और सीबीआई जैसे लोग हैं, आप उनको भेजकर एक्शन लो। शहीद विनय नरवाल की विधवा को भी सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया। हमारे विदेश सचिव को भी पर्सनल अटैक का निशाना बनाया गया। इन शर्मनाक बयानों पर बीजेपी सरकार ने क्या किया। देशभक्ति पर बड़ी-बड़ी बातें करने में मोदी जी का तोड़ नहीं। उनका कोई मुकाबला नहीं कर सकता। लेकिन जब इनकी अपनी पार्टी के लोग सेना का अपमान करते हैं तो मोदी जी चुप क्यों है। इन पर एक्शन लेना चाहिए। मैं कहना चाहता हूं कि पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर का राजनीतिकरण करने की कोशिश की गई। हर बयान में यही बात करते हैं। इससे उनका काम बनने वाला नहीं है। आज हम देखते हैं कि किसी को दोष देकर अपने आपको बचाना चाहते हैं।
भाजपा ने शहीदों की पत्नियों का अपमान किया
मैं और एक बात कहूंगा कि हमने 7 मई की सीडब्ल्यूसी की बैठक में प्रस्ताव रखा था कि यह राजनीति करने का समय नहीं है बल्कि देश की एकजुटता दिखाने का संकल्प लिया था। हमने आपका सपोर्ट किया। देश हित में हमने हर कदम पर सरकार को सपोर्ट किया। एकता और एकजुटता के लिए सरकार के साथ खड़े थे। लेकिन मोदी जी चुनावी भाषण करते फिरते हैं हमारे खिलाफ, जबकि हम उन्हें सपोर्ट करते हैं। सरकार ने पहलगाम हमले के बाद 10 मई को सीजफायर की घोषणा की। उसके बाद क्या हुआ। मैं बताता हूं, बीजेपी के सांसद ने कहा कि पहलगाम के शहीद हुए लोगों की पत्नियों में वीरांगना जैसा भाव नहीं था, इसलिए वे हाथ जोड़ रही थीं गिड़गिड़ा रही थीं। ये है आपकी महिलाओं के प्रति सोच, एक महिला के पति के मरने के बाद आप ये कहते हैं। ऐसे लोगों को कान पकड़कर बाहर निकालो।
हमले की जिम्मेदारी शाह को लेनी चाहिए
इसलिए यह जिम्मेदारी अमित शाह को लेना चाहिए। और हमको ये कहते हैं कि कांग्रेस ने ये किया वो किया। अरे छोड़ो भाई , उसके नाम पर कितने दिन जिंदा रहना चाहते हैं। इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के दो टुकड़े करके बांग्लादेश को आजादी दिलाई। क्या एलजी ने यह बयान गृहमंत्री को बचाने दिया था या गृहमंत्री ने उन्हें यह बयान देने कहा था। कुछ लोगों का शौक है, जैसे बाहर करते हैं वैसे ही संसद में करते हैं। इतनी घटनाएं हुईं।
खड़गे ने पूछा- 3 आतंकी मारे गए बाकी कहां हैं ?
ये पहाड़ खोद कर चूहा निकालने वाले लोग हैं। हम लड़ने वाले लोग हैं। लड़ते लड़ते देश को बचाया। ये है हमारी पार्टी और हम। पहलगाम हमले के 100 दिन बाद भी आतंकी नहीं मिले, 3 मारे गए तो बाकी कहां हैं? उनको भी ढूंढा क्यों नहीं। कांग्रेस पार्टी हमारी सेना पर गर्व करती है। उनके शौर्य और बहादुरी को सलाम करती है। पूरा देश एकजुट खड़ा रहा। पार्टी ने विपक्ष ने मिलकर सभी ने सेना के समर्थन और सम्मान में जय हिंद यात्रा निकाली।