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नई दिल्ली। सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने शुक्रवार को यहां एक समारोह में भारत मां के उन नौ वीर सपूतों के परिजनों को ‘बलिदान का बैज’ और ‘सम्मान प्रमाण पत्र’ प्रदान किये जिन्होंने कर्तव्य की वेदी पर अपने प्राण न्यौछावर कर दिये।
दिल्ली छावनी के मानेकशॉ सेंटर में आयोजित एक भव्य और भावपूर्ण समारोह में वीरता और सर्वोच्च बलिदान के लिए गहन प्रतीकात्मक श्रद्धांजलि के रूप में ये पुरस्कार उन अधिकारियों, जूनियर कमीशन प्राप्त अधिकारियों और अन्य रैंकों को प्रदान किए गए जो देश की सेवा करते हुए दुश्मन की और आतंकवादियों की कार्रवाई में शहीद हो गये।
यह कार्यक्रम गुरूवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित औपचारिक रक्षा अलंकरण समारोह के एक दिन बाद आयोजित किया गया। ये सम्मान कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष ढोंचक, कैप्टन दीपक सिंह, हवलदार रोहित कुमार, नायक दिलवर खान, राइफलमैन रवि कुमार, सिपाही प्रदीप सिंह, पुलिस उपाधीक्षक हिमायूं मुजम्मिल भट, ओईएम जीडीई-1 विजयन कुट्टी जी (सीमा सड़क संगठन) के परिजनों को प्रदान किये गये।
ये पुरस्कार जुलाई 1999 में स्थापित किये गये थे और 1947 से चली आ रही लड़ाइयों में सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीरों के परिवारों को प्रदान किए जाते रहे हैं। पहली बार ये सम्मान 16 दिसंबर 1999 को विजय दिवस पर दिये गये थे।
‘बलिदान बैज’ 24 कैरेट सोने की परत वाला प्रतीक चिन्ह है जिस पर सैनिक की सेना संख्या, रैंक और नाम अलग-अलग उकेरा गया है। पीछे की तरफ भारतीय सेना का प्रतीक चिन्ह अंकित है, जो शाश्वत स्मृति का प्रतीक है। ‘सम्मान प्रमाण पत्र’ भी उतना ही विशिष्ट है और इसे 24 कैरेट सोने की पन्नी पर तैयार कर सोने की परत वाले फ्रेम में सेट किया गया है। भूतपूर्व सैनिक निदेशालय द्वारा डिज़ाइन किए गए ये सम्मान सेना द्वारा शहीद नायकों के लिए सौंदर्य गरिमा और स्थायी सम्मान दोनों को दर्शाते हैं।
शहीदों के परिजनों ने भावुक होकर गौरव के साथ ये पुरस्कार स्वीकार किए। भारतीय सेना सम्मान, कर्तव्य और बलिदान की गहरी परंपराओं को कायम रखते हुए यह सुनिश्चित करती है कि हर शहीद सैनिक को सम्मान और श्रद्धा के साथ याद किया जाए।