
0 संसदीय कार्य मंत्री रिजिजू बोले- ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा को तैयार
0 जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव संभव
नई दिल्ली। संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होगा। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को नई दिल्ली में इसकी जानकारी दी। रिजिजू ने बताया कि यह सत्र 21 जुलाई से 12 अगस्त तक चलेगा।
किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार नियमों के तहत सत्र में किसी भी विषय पर चर्चा को तैयार हैं। साथ ही बताया कि सत्र के दौरान जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश हो सकता है।सरकार ने मानसूत्र सत्र का ऐलान विपक्ष के 'स्पेशल सेशन' की मांग के बीच की है। विपक्ष पहलगाम हमला, ऑपरेशन सिंदूर और भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और सीडीएस जनरल अनिल चौहान के भारतीय जेट गिरने पर सिंगापुर में दिए बयान पर चर्चा की मांग कर रहा है। इंडिया गठबंधन के 17 दलों ने 3 जून को नई दिल्ली में बैठक की। इसमें स्पेशल सेशन बुलाने के लिए पीएम मोदी को लेटर लिखा। मोदी सरकार 3.0 और ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह संसद का पहला सत्र होगा।
पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा को तैयार: रिजिजू
रिजिजू ने कहा कि सरकार का कहना है कि संसद के आगामी मानसून सत्र के दौरान विपक्ष अगर नियमों के तहत चर्चा की मांग करता है, तो हम पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए तैयार हैं। आगामी सत्र के दौरान सरकार इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की भी तैयारी में हैं।
वर्मा के महाभियोग प्रस्ताव पर सभी को एकजुट रहना जरूरी
दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर किरेन रिजिजू ने कहा, 'जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग न्यायपालिका में भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। इसमें किसी भी तरह की राजनीति की गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा था कि मैं सभी राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति बना रहा हूं। इसके लिए मैंने प्रमुख नेताओं के साथ चर्चा शुरू कर दी है। दरअसल, जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित घर में 14 मार्च की रात आग लगी थी। उनके घर के स्टोर रूम से 500-500 रुपए के जले नोटों के बंडलों से भरे बोरे मिले थे।
पीएम विशेष सत्र से भाग सकते हैं, मानसून सत्र से नहींः कांग्रेस
मानसून सत्र को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर विशेष सत्र की मांग से ध्यान का आरोप लगाया। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा कि सरकार ने विशेष सत्र की मांग से ध्यान भटकाने के लिए अचानक मानसून सत्र की घोषणा की। भारत के इतिहास में कभी भी 47 दिन पहले सत्र की घोषणा नहीं हुई है। आमतौर पर सत्र की जानकारी एक हफ्ता या 10 दिन पहले दी जाती है। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री विशेष सत्र से तो भाग सकते हैं, लेकिन मानसून सत्र से नहीं। हम विशेष सत्र की मांग कर रहे हैं ताकि पहलगाम आतंकी हमले पर चर्चा हो सके। आतंकियों को अब तक सज़ा क्यों नहीं मिली
