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नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मेडिकल स्नातक पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए आयोजित राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा 2025 को चुनौती देने वाली एक रिट याचिका पर विचार करने से गुरुवार को इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन और न्यायमूर्ति एन के सिंह की पीठ ने असद खत्री की गुहार ठुकराते हुए कहा कि यह याचिका सार्वजनिक हित के तथ्यों पर आधारित नहीं है और इसलिए इस विवाद का शीर्ष अदालत की बजाय उच्च न्यायालय में ही निपटारा किया जाना चाहिए।
पीठ ने याचिकाकर्ता द्वारा उठाई गई इस चिंता पर विचार करते हुए कि जुलाई के मध्य तक सीटें (मेडिकल स्नातक की) भर जाएंगी,उन्हें सुनवाई आगे बढ़ाने की अनुमति दी।
पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने मामले को 31 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया है।पीठ ने याचिकाकर्ता की चिंता और तात्कालिक महत्व को देखते हुए संभावित शीघ्र सुनवाई के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष इसका उल्लेख करने की याचिकाकर्ता को अनुमति दी।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता सुभाष झा ने इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित याचिका को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था।
इस पर न्यायमूर्ति विश्वनाथन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वर्तमान याचिका‌ व्यक्तिगत तथ्यों पर आधारित है। इसमें किसी कानून की वैधता को चुनौती नहीं दी गई है। इसलिए यह मामला शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने योग्य नहीं है।
न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने अधिवक्ता से कहा,“आपका मामला व्यक्तिगत तथ्यों पर आधारित है। हम तभी स्थानांतरण कर सकते हैं, जब विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित याचिकाओं में कानून के एक समान प्रश्न हों।”