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0 रकम की हेराफेरी मामले में होगी पूछताछ

रायपुर। शराब घोटाला मामले में ईओडब्ल्यू ने बड़ी कार्रवाई की है। इस केस में केस में ईओडब्ल्यू ने 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इसमें चार्टड अकाउंटेंट संजय कुमार मिश्रा, उसके भाई मनीष मिश्रा और अभिषेक सिंह शामिल हैं। अभिषेक आबकारी घोटाले के आरोपी अरविंद सिंह का भतीजा है।
बताया जा रहा कि संजय और मनीष नेक्सजेन पॉवर कंपनी बनाकर एफएल 10 लाइसेंस लेकर प्रदेश में महंगी ब्रांडेड अंग्रेजी शराब की सप्लाई करते थे। 
ईओडब्ल्यू ने चार्टड अकाउंटेंट अभिषेक समेत तीनों आरोपियों को रायपुर की स्पेशल कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने तीनों आरोपियों को 5 दिन की रिमांड पर भेजा है। 26 जुलाई तक ईओडब्ल्यू पूछताछ करेगी। ईओडब्ल्यू का दावा है कि आरोपियों के पास घोटाले में लेन-देन, रकम की हेराफेरी और अहम दस्तावेज की जानकारी है।

संजय और मनीष ने नेक्स्टजेन पावर कंपनी बनाई और एफएल 10 लाइसेंस लेकर राज्य में महंगी ब्रांडेड अंग्रेजी शराब की सप्लाई करते थे। इससे पहले 18 जुलाई को पूर्व सीएम भूपेश बघेल के घर पर ईडी ने छापेमारी की थी। चैतन्य बघेल को शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार किया है।

पूर्व सीएम बघेल के बेटे चैतन्य को ईडी ने किया गिरफ्तार
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को गिरफ्तार कर कस्टोडियल रिमांड पर लिया है। प्रवर्तन निदेशालय की टीम उनसे लगातार पूछताछ कर रही है। 22 जुलाई को चैतन्य बघेल की कस्टोडियल रिमांड खत्म हो रही है। 5 दिनों की पूछताछ के बाद उन्हें मंगलवार को दोपहर 3 बजे के बाद रायपुर की स्पेशल कोर्ट में पेश किया जाएगा।

क्या है शराब घोटाला केस
वर्ष 2019 से 2023 के बीच, राज्य के 15 बड़े जिलों में पदस्थ आबकारी अधिकारी और अन्य प्रशासनिक पदाधिकारियों द्वारा बिना ड्यूटी चुकाई गई देसी शराब (बी-पार्ट शराब) की शासकीय दुकानों में समानांतर अवैध बिक्री की गई. बस्तर और सरगुजा संभाग को छोड़कर चयनित जिलों में अधिक खपत वाली देसी शराब दुकानों को डिस्टलरी से सीधे अतिरिक्त अवैध शराब भेजी जाती थी, जिसे वैध शराब के साथ समानांतर बेचा जाता था। इस पूरे नेटवर्क में डिस्टलरी, ट्रांसपोर्टर, सेल्समैन, सुपरवाइजर, आबकारी विभाग के जिला प्रभारी अधिकारी, मंडल व वृत्त प्रभारी, और मैन पावर एजेंसी के अधिकारी-कर्मचारी शामिल थे। अवैध शराब को “बी-पार्ट शराब” कहा जाता था और इससे अर्जित रकम सीधे सिंडीकेट के पास पहुंचाई जाती थी।

2174 से बढ़कर 3200 करोड़ का हुआ घोटाला
ईओडब्ल्यू/एसीबी द्वारा अब तक की गई जांच और 200 से अधिक व्यक्तियों के बयान एवं डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर अनुमान है कि लगभग 60,50,950 पेटी बी-पार्ट शराब की अवैध बिक्री हुई है, जिसकी अनुमानित कीमत 2174 करोड़ रुपये से अधिक है। पहले इस घोटाले का अनुमान 2174 करोड़ रुपये था, लेकिन नवीनतम आंकड़ों के अनुसार घोटाले की कुल राशि 3200 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है।