
रायपुर। केंद्र सरकार व ईडी की कार्रवाई के विरोध में कांग्रेस ने प्रदेशव्यापी आर्थिक नाकेबंदी की। इस कदम पर वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कांग्रेस शासनकाल के दौरान लिए गए निर्णयों पर पांच सवाल कर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। उन्होंने कहा कि पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने अपने बेटे को बचाने के लिए पूरी कांग्रेस को झों दिया है। उनके लिए आदिवासी नेता कवासी लखमा या फिर देवेंद्र यादव मायने नहीं रखते।
श्री चौधरी ने मीडिया से चर्चा में कहा कि भूपेश बघेल ने भ्रष्टाचार की संस्कृति को बढ़ावा दिया था। छत्तीसगढ़ को दस जनपथ का एटीएम बना दिया था, जिससे मुक्ति मिली। इसलिए कांग्रेस अनर्गल आरोप लगा रही है। भ्रष्टाचार को छिपाने और बेटे को बचाने के लिए कांग्रेस को झोंक दिया है। उन्होंने कहा कि ईडी की कार्रवाई के बाद सभी साक्ष्य न्यायालय के सामने रखे जाते हैं और दो-दो तीन-तीन साल से जमानत नहीं मिल रही है।
कांग्रेस से किया सवाल
इसी तरह वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने एक्स पर किए अपने पोस्ट के माध्यम से कांग्रेस से सवाल किया कि क्या भूपेश बघेल के शासनकाल में 16 अक्टूबर 2019 को जनसुनवाई नहीं कराई गई थी? क्या 31 मार्च 2021 को गारे पेलमा सेक्टर-2 के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति की सिफारिश तत्कालीन कांग्रेस की सरकार ने नहीं की थी? क्या 19 अप्रैल 2022 को, कांग्रेस के भूपेश बघेल की सरकार रहते हुए फॉरेस्ट क्लीयरेंस (स्टेज वन) की स्वीकृति की सिफारिश नहीं की गई थी? चौथा सवाल कि क्या 23 जनवरी 2023 को, ‘फॉरेस्ट क्लीयरेंस’ (स्टेज 2) की सिफारिश भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार रहते हुए नहीं की गई थी? और अंतिम सवाल कि क्या महाराष्ट्र में महाराष्ट्र स्टेट पावर जनरेशन कंपनी के द्वारा अडानी ग्रुप को एमडीओ बनाया गया था तब उस समय कांग्रेस के समर्थन वाली सरकार वहां नहीं थी?