
0 श्रमिक बोले-पुलिस ने जबरन पीटा, मांगा 1 लाख मुआवजा
बिलासपुर। कोंडागांव जिले में पुलिस ने पश्चिम बंगाल के 12 मजदूरों को बांग्लादेशी बताकर गिरफ्तार करने के मामले में दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस जारी कर दो हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है। पश्चिम बंगाल के रहने वाले याचिकाकर्ता महबूब खान व 11 अन्य लोगों ने याचिका दायर कर उनके खिलाफ की गई कार्रवाई को रद्द करने की मांग की है। साथ ही पुलिस हिरासत में उनके साथ की गई मारपीट व दुर्व्यवहार के बदले प्रति व्यक्ति एक लाख रुपए मुआवजा देने और राज्य में स्वतंत्र रूप से काम करने की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है। सरकार को 2 हफ्ते में हाईकोर्ट में जवाब देना होगा, उसके बाद फिर सुनवाई होगी।
जानिए क्या है पूरा मामला
29 जून 2025 को पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर और मुर्शिदाबाद क्षेत्र के 12 श्रमिक ठेकेदार के माध्यम से कोंडागांव में एक स्कूल निर्माण के लिए आए थे। 12 जुलाई को कोंडागांव पुलिस स्कूल निर्माण साइट से सुपरवाइजर के साथ 12 मजदूरों गाड़ी में भर कर ले गई।मजदूरों का आरोप है कि साइबर सेल में सभी श्रमिकों के साथ मारपीट की गई। गाली-गलौज कर दुर्व्यवहार किया गया। साथ ही इन्हें आधार कार्ड दिखाने के बाद भी लगातार बांग्लादेशी हो करके संबोधित किया गया। शाम 6 बजे इन सभी को कोंडागांव पुलिस कोतवाली ले जाया गया। वहां से रात के समय गाड़ी में भर कर 12 और 13 जुलाई की दरमियानी रात जगदलपुर सेंट्रल जेल दाखिल कर दिया गया।
सांसद महुआ मोइत्रा ने की थी रिहाई की मांग
13 जुलाई को पश्चिम बंगाल में मजदूरों के रिश्तेदारों ने तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा से संपर्क किया। महुआ मोइत्रा ने छत्तीसगढ़ पुलिस पर मजदूरों को जबरन पकड़ने का आरोप लगाया और उनके रिहाई की मांग की। पश्चिम बंगाल पुलिस ने इन सभी के भारतीय नागरिक होने की रिपोर्ट दी। इस आधार पर वकील सुदीप श्रीवास्तव और रजनी सोरेन ने एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका हाइकोर्ट में दायर की। याचिका सुनवाई में आने के पहले कोंडागांव एसडीएम के आदेश से 14 जुलाई को मजदूरों को रिहा कर दिया गया। मजदूरों का आरोप है कि सभी को पुलिस ने धमकाया और छत्तीसगढ़ छोड़ने को मजबूर कर दिया गया। जिसके कारण सभी मजदूर अपनी रोजी रोटी गंवा कर पश्चिम बंगाल लौट गए।