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0 जस्टिस विपुल पंचोली की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति पर आपत्ति
0 कहा- ऐसा होना न्यायपालिका के लिए नुकसानदायक

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की जज बीवी नागरत्ना ने मंगलवार को पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विपुल मनुभाई पंचोली को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाने की कॉलेजियम की सिफारिश पर कड़ा विरोध दर्ज कराया। उन्होंने कहा कि यह नियुक्ति न्यायपालिका के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है। जस्टिस पंचोली अगर सुप्रीम कोर्ट में जज बनते हैं तो वे अक्टूबर 2031 में सीजेआई बन सकते हैं।

सूत्रों के मुताबिक, जस्टिस नागरत्ना ने मई में ही इस प्रस्ताव पर असहमति जताई थी। तब पहली बार जस्टिस पंचोली का नाम सामने आया था। बाद में जस्टिस एन वी अंजारिया को जस्टिस पंचोली से पहले सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया था। तीन महीने बाद जब फिर से जस्टिस पंचोली का नाम सामने आया, तो जस्टिस नागरत्ना ने औपचारिक रूप से असहमति दर्ज की।
सीजेआई बीआर गवई की अध्यक्षता में 25 अगस्त को हुई कॉलेजियम की बैठक में बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस पंचोली के नाम सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर केंद्र को भेजे गए। 5 सदस्यीय कॉलेजियम में जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस नागरत्ना शामिल थीं।

सीजेएआर का पारदर्शिता के मानकों पर सवाल
इस मुद्दे पर एनजीओ 'कैम्पेन फॉर जुडिशियल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स' ने भी बयान जारी किया। सीजेएआर ने 25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड कॉलेजियम के बयान को पारदर्शिता के मानकों का मजाक बताया। सीजेएआर ने कहा कि जस्टिस पंचोली की नियुक्ति 4-1 के बहुमत से हुई, जिसमें जस्टिस नागरत्ना ने असहमति जताई। जस्टिस पंचोली गुजरात से सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त होने वाले तीसरे जज हैं, जो गुजरात हाईकोर्ट के आकार की तुलना में असंतुलित प्रतिनिधित्व है। साथ ही वे हाईकोर्ट जजों की ऑल इंडिया सीनियरिटी लिस्ट में 57वें नंबर पर हैं।