
0 140 करोड़ से अधिक के कस्टम मिलिंग से जुड़ा मामला
दुर्ग-भिलाई/रायपुर। कस्टम मिलिंग घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने गुरुवार को भिलाई समेत प्रदेश के 10 ठिकानों पर छापेमारी की। मामला 140 करोड़ से अधिक के कस्टम मिलिंग से जुड़ा बताया जा रहा है। मामले में ईडी की टीम प्रदेश के 10 अलग-अलग जिले में दबिश दी। ईडी की छह सदस्यीय टीम ने हुडको स्थित सुधाकर रावटे के घर दबिश दी। टीम सुधाकर रावटे से पूछताछ के साथ कस्टम मिलिंग स्कैम से जुड़े दस्तावेजों को खंगालने में जुट गई।
टीम ने घर को चारों ओर से घेरकर महत्वपूर्ण दस्तावेजों और लेनदेन से जुड़े कागजातों की छानबीन शुरू कर दी।
इससे पहले एसीबी ने इस घोटाले में मुख्य आरोपी अनिल टुटेजा और रायपुर के होटल कारोबारी अनवर ढेबर को गिरफ्तार किया था। दोनों से पूछताछ में मिले इनपुट के आधार पर ही ईडी ने भिलाई में छापा मारा। सूत्रों के मुताबिक पूछताछ में कई अधिकारियों और मिलर्स की मिलीभगत के अहम सुराग मिले हैं, जिनके चलते यह दबिश दी गई है। इसके बाद आलोक शुक्ला पर भी गिरफ्तार की तलवार लटक रही है।
इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड आईएएस डॉ. शुक्ला और अनिल टुटेजा की अग्रिम जमानत खारिज की थी। शीर्ष अदालत ने बिलासपुर हाईकोर्ट से मिली अग्रिम जमानत को भी खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक दोनों अधिकारियों को पहले दो हफ्ते ईडी की कस्टडी में रहना होगा। उसके बाद दो हफ्ते न्यायिक हिरासत में रहना होगा। हिरासत में पूछताछ पूरी होने के बाद ही उन्हें जमानत मिल सकेगी। अदालत ने यह भी कहा कि आरोपियों ने 2015 में दर्ज नाम घोटाला मामले और ईडी की जांच को प्रभावित करने की कोशिश की थी। नान घोटाला जब सामने आया था, तो आलोक शुक्ला खाद्य विभाग के सचिव थे। उन्हें भी आरोपी बनाया गया था और दिसंबर 2018 को उनके खिलाफ कोर्ट में ईओडब्ल्यू ने चार्जशीट पेश किया था। इसके बाद 2019 को आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिली थी। अग्रिम जमानत मिलने के बाद दोनों अफसरों को कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार में पावरफुल पोस्टिंग मिली थी। इस पोस्टिंग के दौरान ईओडब्ल्यू की नान घोटाले की जांच को प्रभावित करने का आरोप दोनों अफसरों पर लगा थाी।
कस्टम मिलिंग घोटाला
बता दें कि कस्टम मिलिंग के एवज में मिलने वाली रकम का भुगतान 20 रुपए प्रति क्विंटल देने पर ही बिल का भुगतान होता था। रकम देने वाले मिलर्स की सूची तैयार करने के बाद उन्हें ही कस्टम मिलिंग की रकम जारी होती थी। मामले में ईडी ने 3500 पेज का चालान पेश किया है, जिसमें 35 पेज की समरी भी शामिल है।