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0 बीजापुर में हथियार के साथ पुलिस के पास पहुंचे
0 इनमें सीसीएम-डीवीसीएम सदस्य शामिल

जगदलपुर/बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सली प्रवक्ता रूपेश समेत 140 नक्सलियों ने गुरुवार को आत्मसमर्पण कर दिया है। डीकेएसजेडसीएम (दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी मेंबर) सदस्य रूपेश माड़ डिवीजन और इंद्रावती एरिया कमेटी इलाके में एक्टिव था।

सभी हथियार के साथ इंद्रावती नदी के उसपरी घाट पहुंचे। यहां से उन्हें बोट के जरिए बीजापुर पुलिस के पास लाया गया है। इस पूरे इलाके में पुलिस बल को तैनात किया गया है। प्रदेश के गृह मंत्री विजय शर्मा जगदलपुर पहुंच गए हैं। कल शुक्रवार को सीएम विष्णुदेव साय के समक्ष सभी नक्सली आधिकारिक तौर पर सरेंडर करेंगे।
रूपेश नक्सलियों का प्रवक्ता और हार्डकोर नक्सली है। रूपेश के साथ आए लोगों में 1 सेंट्रल कमेटी मेंबर (सीसीएम), 2 दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी मेंबर (डीकेएसजेडसीएम), 15 डिविजनल कमेटी मेंबर (डीवीसीएम), एक माड़ डीवीसी और 121 अन्य कैडर के माओवादी शामिल हैं। इससे पूरा माड़ डिवीजन खाली हो जाएगा।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार नक्सलियों के छिपने की कोई जगह नहीं छोड़ रहे हैं। देश में अब नक्सली प्रभावित जिलों की संख्या 18 से घटकर 11 रह गई है। 31 मार्च, 2026 तक भारत नक्सलवाद के खतरे से मुक्त हो जाएगा।

एक दिन पहले 50 से अधिक नक्सलियों ने सरेंडर किया था
बता दें कि एक दिन पहले 15 अक्टूबर को कांकेर जिले में करीब 50 से ज्यादा नक्सलियों ने सरेंडर किया था। इनमें टॉप लीडर राजू सलाम, कमांडर प्रसाद और मीना शामिल है। जंगलों से बाहर आकर इन नक्सलियों ने कामतेड़ा बीएसएफ कैंप में हथियार डाले हैं। सभी नक्सलियों को बस के जरिए कैंप लाया गया। सुरक्षा कारणों के चलते बीएसएफ कैंप को हाई अलर्ट पर रखा गया था। इतनी बड़ी संख्या में नक्सलियों के मुख्यधारा में लौटने से इलाके में नक्सलवाद के खात्मे की उम्मीदें बढ़ गई हैं। फिलहाल, कांकेर पुलिस आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों की पहचान करने में जुटी हुई है। संभावना है कि इन्हें जल्द ही जिला मुख्यालय या संभागीय मुख्यालय में मीडिया के सामने पेश किया जाएगा।

20 महीने में 1,876 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया
बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने कहा कि पिछले 20 महीनों में अब तक 1,876 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। समाज की मुख्यधारा से जुड़ कर सरकार की पुनर्वास नीति का लाभ ले रहे हैं। हमें पूर्ण विश्वास है कि आने वाले समय में और भी माओवादी इस सकारात्मक रास्ते को अपनाएंगे।

अब देश में 3 जिले ही सर्वाधिक नक्सल प्रभावित, तीनों छग के
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से सोशल मीडिया साइट 'एक्स' पर बताया कि देश में अब नक्सली प्रभावित जिलों की संख्या 18 से घटकर 11 रह गई है। इसमें भी जो सबसे ज्यादा प्रभावित जिले थे। उनकी संख्या 6 से 3 रह गई है। अब केवल छत्तीसगढ़ का बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर ही 3 ऐसे जिले रह गए हैं। जो नक्सलियों से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

गढ़चिरौली में भी इनामी नक्सलियों ने किया था सरेंडर 
इससे एक दिन पहले नक्सल संगठन के पोलित ब्यूरो मेंबर मोजुल्ला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति ने भी हिंसा का रास्ता छोड़ा और अपने अन्य 60 साथियों के साथ महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में सरेंडर किया। जिसके बाद से अब छत्तीसगढ़ में भी सरेंडर का सिलसिला लगातार जारी है। दरअसल, भूपति नक्सल संगठन में पोलित ब्यूरो मेंबर है। यह तेलंगाना के करीब नगर का रहने वाला है। 80 के दशक से माओवाद संगठन के साथ जुड़कर काम कर रहा था। छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश ओडिशा, समेत अन्य राज्यों में यह मोस्ट वांटेड था। छत्तीसगढ़ सरकार ने भूपति पर करीब 1 से डेढ़ करोड़ रुपए का इनाम रखा था। अन्य राज्यों को मिलाकर ये 6 करोड़ रुपए से ज्यादा का इनामी है।

शाह की डेडलाइन, 2026 तक करेंगे नक्सलवाद का खात्मा
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अगस्त 2024 और दिसंबर 2024 में छत्तीसगढ़ के रायपुर और जगदलपुर आए थे। वे यहां अलग-अलग कार्यक्रमों में शामिल हुए थे। इस दौरान उन्होंने अलग-अलग मंचों से नक्सलियों को चेताते हुए कहा था कि हथियार डाल दें। हिंसा करोगे तो हमारे जवान निपटेंगे। वहीं उन्होंने एक डेडलाइन भी जारी की है कि 31 मार्च 2026 तक पूरे देश से नक्सलवाद का खात्मा कर दिया जाएगा। शाह के डेडलाइन जारी करने के बाद से बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन काफी तेज हो गए हैं। महासचिव समेत कई बड़े कैडर के नक्सली मारे जा चुके हैं। बड़ी संख्या में माओवादी हथियार छोड़ कर मुख्यधारा में लौट रहे हैं।

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