प्रकृति की अपनी गति होती है और उसी के मुताबिक उसकी गतिविधियां भी सामने आती हैं। मुश्किल तब आती है जब किसी प्राकृतिक उथल-पुथल से जानमाल का व्यापक नुकसान होता है। इन महीनों के दौरान बारिश एक स्वाभाविक चक्र है और लोग इसका इंतजार भी करते हैं। लेकिन रविवार को तेज बरसात के साथ जो हुआ, वह अप्रत्याशित और दुखद है। हालांकि बारिश के समय बिजली चमकना या गिरना एक सामान्य बात है, लेकिन कई बार व्यापक पैमाने पर बिजली गिरने की घटनाओं से होने वाला नुकसान चौंकाता है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई इलाकों में बारिश के साथ-साथ बिजली गिरने की अलग-अलग घटनाओं में अस्सी से ज्यादा लोगों की मौत की खबर मौसम की असामान्य गतिविधि का संकेत है। अकेले उत्तर प्रदेश में बयालीस लोगों की जान चली गई, बाईस लोग झुलस गए और करीब ढाई सौ मवेशियों की भी मौत हो गई। राजस्थान में बीस और मध्य प्रदेश में ग्यारह लोग बिजली गिरने से मारे गए। इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला और उत्तराखंड में भी मूसलाधार बारिश के बीच में ही बादल फटने की घटनाओं से व्यापक तबाही हुई।
निश्चित तौर पर बरसात और उसकी वजह से जानमाल के व्यापक नुकसान की ये घटनाएं कोई पहली बार सामने नहीं आई हैं, इसके बावजूद बिजली गिरने से इतनी बड़ी तादाद में लोगों के मरने की घटना ने स्वाभाविक ही चिंता पैदा की है कि क्या जलवायु में होने वाले परिवर्तन की वजह से मौसम का यह रूप सामने आ रहा है! संभव है कि बढ़ते तापमान की वजह से होने वाले बदलावों के चलते सामान्य प्राकृतिक चक्र में भी उथल-पुथल हो रहा हो, लेकिन पिछले कुछ दशकों के दौरान समूची दुनिया में मनुष्य की गतिविधियों ने जिस कदर प्रकृति की बुनावट की उपेक्षा की है, इसका उसे खमियाजा भी भुगतना पड़ रहा है। कई बार लोग मौसम के चक्र, उसकी प्रकृति और हरकतों के कारणों के बारे में जागरूक नहीं होते हैं, इसलिए भी उसकी मार का सामना करना पड़ता है। मसलन, राजस्थान के जयपुर में ग्यारह लोगों की मौत तब हो गई, जब वे लोग बारिश के दौरान ही आमेल किले के वाच टावर के ऊपर मोबाइल से अपनी ही तस्वीर उतार रहे थे। आमतौर पर ऊंची जगहें आसमानी बिजली गिरने के समय आकर्षण केंद्र का काम करती हैं। जब बिजली गिरी तो वहां मौजूद लोगों में कई ने नीचे छलांग लगा दी।
दरअसल, बिजली गिरने से होने वाली मौतों के कारणों के अध्ययनों में यह बताया जा चुका है कि बारिश के दौरान छतरी या मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि मोबाइल की तरंगें या छाते का धातु बिजली गिरने के समय वाहक का काम कर सकता है। हमारे देश में खासतौर पर उत्तर भारत के इलाकों में अक्सर इस कारण से होने वाली मौतों की खबरें आती रहती हैं। एक समस्या यह भी है कि हमारे यहां इस बारे में अभी तक पूर्व सूचना या चेतावनी की ठोस प्रणाली कायम नहीं हो सकी है। इसके अलावा, बरसात में इसके खतरे के बावजूद कई लोग खेतों में या खुले में धातु के संपर्क के साथ कोई अन्य काम कर रहे होते हैं। खासतौर पर पेड़ों के नीचे खड़ा होना खतरनाक है, लेकिन विकल्प नहीं मिलने की स्थिति में कई बार लोग वही जगह चुनते हैं।
बिजली गिरने से पहले आसमान में गडग़ड़ाहट या रोएं खड़ा होने जैसे संकेत सामने आ सकते हैं। लेकिन जागरूकता की कमी की वजह से लोगों का ध्यान बचाव के उपायों पर नहीं जा पाता। जाहिर है, बारिश के दौरान बिजली गिरना एक प्राकृतिक घटना है, लेकिन इससे बचाव के रास्ते अपना कर नुकसान को कम जरूर किया जा सकता है।
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