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कारोबारी राज कुंद्रा का विवादों से पुराना नाता रहा है, लेकिन इस बार जिस जुर्म के आरोप में उनकी गिरफ्तारी हुई है, वह यकीनन बेहद संगीन और शर्मनाक है। कुंद्रा पर आरोप है कि वह अश्लील फिल्मों के अंतरराष्ट्रीय कारोबार से जुड़े हुए हैं और मुंबई से लेकर लंदन तक उनका नेटवर्क इसमें सक्रिय रहा है। पुलिस ने इस गुनाह में लिप्त कुछ लोगों को पहले ही गिरफ्तार किया था और उन लोगों की निशानदेही पर ही कुंद्रा की कथित भूमिका का खुलासा हुआ। बहरहाल, अदालत ने कुंद्रा को 23 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है और उम्मीद की जानी चाहिए कि अगली सुनवाई में मुंबई पुलिस इस मामले से जुड़े ठोस साक्ष्य अदालत के सामने पेश कर सकेगी। इससे पहले साल 2012 में भी आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में कुंद्रा की गिरफ्तारी हुई थी, और तब उनकी टीम राजस्थान रॉयल्स को दो साल का प्रतिबंध भी झेलना पड़ा था। अंतत: इस फ्रेंचाइजी के साझीदारों ने कुंद्रा से अपना दामन छुड़ाने में ही भलाई समझी।
राज कुंद्रा की गिरफ्तारी ने चकाचौंध भरी माया नगरी के स्याह पहलू से एक बार फिर हमें रूबरू कराया है, जिसमें नैतिकता के लिए कोई जगह नहीं, कायदे-कानूनों को लेकर कोई भय या सम्मान नहीं है। वरना सफेदपोश लोग ऐसे अपराध क्यों करते? यकीनन, इसके लिए पूरा तंत्र कुसूरवार है। सुशांत सिंह राजपूत की खुदकुशी के मामले में हमने देखा कि किस तरह उससे ड्रग्स पार्टियों, उसके कारोबार से जुड़ी कहानियों का सिलसिला सा चल पड़ा और वह मुकदमा अब तक किसी अंजाम पर नहीं पहुंचा। मामलों के यूं भटक जाने से ही शातिर अपराधियों के हौसले बढ़ते हैं। अश्लील सामग्रियों के बढ़ते कारोबार के पीछे पुलिस के इस दावे को न मानने की कोई वजह नजर नहीं आती कि लड़के-लड़कियों को बड़ी फिल्मों में काम दिलाने के नाम पर फंसाया जाता और फिर इस दलदल में धकेल दिया जाता था। ब्योरे हैं कि इस मामले के खुलासे के बाद कई लड़कियों, टीवी कलाकारों ने पुलिस में अपने बयान दर्ज कराए हैं।  दरअसल, लॉकडाउन के दौरान ओटीटी प्लेटफॉर्मों की बढ़ी लोकप्रियता और सेंसर बोर्ड जैसा इनका कोई मजबूत नियामक न होने की वजह से ऐसे लोगों का हौसला बढ़ता गया। स्मार्टफोन और इंटरनेट सुविधाओं के विस्तार ने अश्लील सामग्रियों के कारोबारियों के लिए अपार संभावनाएं पैदा कर दी हैं। दिसंबर महीने में ही विशेषज्ञों ने देश में ओटीटी के जरिये पोर्न उद्योग के लगभग 3,800 करोड़ रुपये सालाना की ऊंचाई छूने का अंदेशा जताया था। इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए ही सरकार ने हाल में ओटीटी के लिए नियम-कायदे तय किए हैं। ताजा घटना बताती है कि देश में पोर्न कारोबार में किस स्तर के लोग अब शामिल होने लगे हैं। रातोंरात देश-दुनिया में छा जाने की चाहत तो पहले भी हजारों नौजवानों को मुंबई की धूल फांकने के लिए बाध्य करती थी, लेकिन अब वह उन्हें एक खतरनाक रास्ता दिखा रही है। आसानी से पैसे कमाने का प्रलोभन हमारे समूचे सामाजिक ताने-बाने पर भारी पड़ सकता है। फिर बढ़ते यौन अपराधों में ऐसी सामग्रियों की भूमिका को लेकर भी विशेषज्ञ आगाह करते रहे हैं। ऐसे में, 'मोरल पुलिसिंगÓ और यौन अपराध के अंतर को समझते हुए अश्लीलता के कारोबारियों को सख्ती से हतोत्साहित करने की जरूरत है।