स्कूली गतिविधियां फिर से शुरू होना सुखद संकेत है। अब पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों ने सभी सरकारी और निजी स्कूलों को खोल दिया है। उत्तर प्रदेश में स्कूल सोलह अगस्त से खुलेंगे। हालांकि पंजाब को छोड़ दूसरे राज्यों ने फिलहाल बड़ी कक्षाओं के लिए ही यह कदम उठाया है। पंजाब में कक्षा एक से बारहवीं तक के विद्यार्थी स्कूल जाएंगे। इससे पहले महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, ओडि़शा, गुजरात और हरियाणा में बड़ी कक्षाओं के लिए स्कूलों को खोला गया था। राज्यों ने यह फैसला अपने यहां महामारी की स्थिति को देखते हुए उठाया है। ज्यादातर राज्यों में अब रोजाना संक्रमण के मामले काफी कम हो गए हैं। दूसरी लहर के दौरान लगाई गई पाबंदियां भी लगभग हटाई ही जा चुकी हैं। फिर ऐसे में सिर्फ स्कूलों को ही बंद रखने का कोई कारण नजर नहीं आता। हालांकि अभी महामारी का खतरा टला नहीं है। कहा तो यह भी जा रहा है कि अगस्त से अक्तूबर के दौरान रोजाना संक्रमण का ग्राफ एक बार फिर चौंका सकता है। लेकिन यह भी हकीकत है कि जीवन से जुड़ी गतिविधियों को अब हमें इन्हीं संकटों के बीच रहते हुए चलाना है।
गौरतलब है कि स्कूलों को बंद रखते हुए पढ़ाई-लिखाई का काम आसानी से चल नहीं पा रहा था। भारत जैसे देश में हर परिवार के पास ऐसी सुविधाएं भी नहीं हैं कि हर विद्यार्थी घर से ऑनलाइन पढ़ाई कर पाने में सक्षम हो। आबादी का बड़ा हिस्सा ऑनलाइन पढ़ाई के लिए जरूरी कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन, इंटरनेट जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। इसलिए स्कूल जाकर ज्ञान अर्जित करने का जो पारंपरिक तरीका है, उसका कोई विकल्प फिलहाल है नहीं। वैसे भी ज्ञान देने और हासिल करने की प्रक्रिया में शिक्षक और विद्यार्थी का आमने-सामने जो संवाद होता है, वह ऑनलाइन पर संभव ही नहीं है। पिछले एक-सवा साल का अनुभव बता रहा है कि स्कूलों के बंद रहने के दौरान ऑनलाइन कक्षाएं चलीं तो जरूर, लेकिन विद्यार्थियों को उनसे वह हासिल नहीं हो सका जो प्रत्यक्ष कक्षाओं में हो रहा था। हालांकि यह वैकल्पिक व्यवस्था मजबूरी थी। ऐसा तो हो नहीं सकता था कि साल भर पढ़ाई ही नहीं करवाई जाती। फिर शिक्षकों के लिए भी ऑनलाइन शिक्षण नया प्रयोग ही था, जिसमें कई व्यावहारिक अड़चनों का भी सामना करना पड़ा। फिर ऑनलाइन शिक्षण में विज्ञान संकाय के विद्यार्थियों के लिए प्रयोगशालाएं तो बंद ही रहीं। ऐसे में यह पढ़ाई आधी-अधूरी ही हो पा रही थी। इतना ही नहीं, स्कूलों के बंद रहने से विद्यार्थी मानसिक रूप से भी काफी प्रभावित हुए। इसलिए अब स्कूलों को और बंद रख पाना बड़ा मुश्किल हो चला था। अब स्कूलों की बड़ी चिंता विद्यार्थियों की सुरक्षा को लेकर है। दरअसल स्कूलों में कोरोनोचित व्यवहार कैसे हो, शिक्षक और विद्यार्थी कोरोना से बचाव के नियमों का सख्ती से पालन कैसे करें, यह एक नई तरह की और बड़ी चुनौती होगी। स्कूलों में भीड़ न बढ़े, इसके लिए सरकारें और स्कूल प्रशासनों को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी होगी। वैसे भी सुरक्षा के तौर पर कुछ राज्यों में बच्चों के समूहों को अलग-अलग समय पर बुलाने की व्यवस्था की गई है। स्कूलों का समय भी सामान्य दिनों के मुकाबले थोड़ा कम रखा गया है। दरअसल कोरोना के दौर ने हमें जो सबसे बड़ी सीख दी है वह यह कि अब हम संकट के बीच ढलना सीख लें।
इसलिए महामारी से बचते हुए जीवन जीने की कला ही सफलता के रास्ते बनाएगी।
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