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जीवन के हर क्षेत्र में इंटरनेट और डिजिटल तकनीक की उपस्थिति, आवश्यकता और प्रभाव का स्तर व्यापक हो चुका है। वर्ष 1995 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर विदेश संचार निगम लिमिटेड (वीएसएनएल) द्वारा इंटरनेट सेवाओं की शुरुआत की गयी थी। चौथाई सदी की इस यात्रा में भारत ने न केवल उल्लेखनीय प्रगति की है, बल्कि वैश्विक डिजिटल क्रांति में भी अपनी प्रतिभाओं, तकनीकी क्षमता और संबंधित वस्तुओं व सेवाओं के साथ योगदान भी किया है।
टेलीफोन से जुड़े मॉडेम के कमजोर व धीमे कनेक्शन से चलते हुए आज हम तेज गति की स्मार्टफोन और 5जी तकनीक के युग में पहुंच चुके हैं। संवाद, सूचना और मनोरंजन के साथ डिजिटल भुगतान में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इसका संज्ञान लेते हुए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने रेखांकित किया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में इसके योगदान से उभरती अर्थव्यवस्थाओं को सीख लेनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि इंटरनेट आने के एक वर्ष पहले मोबाइल फोन आ गये थे, लेकिन उसके चलन को बहुत तीव्रता से जो प्रसार मिला, उसका आधार इंटरनेट ही बना। नयी सदी के आने के साथ ही फोन और इंटरनेट की दरें भी कम होने लगीं तथा इस क्षेत्र में निजी क्षेत्र के आगमन का सिलसिला भी बढऩे लगा। प्रतिस्पर्द्धा ने उपभोक्ताओं के लिए हर स्तर पर आसानी मुहैया करायी। जाहिर है कि परंपरागत टेलीफोन और टेलीग्राम की तरह इंटरनेट का प्रारंभिक चरण शहरी क्षेत्रों तक सीमित था, लेकिन गांव भी जल्दी इससे जुडऩे लगे। इस वर्ष जनवरी में आये आंकड़ों की मानें, तो 62 करोड़ से अधिक भारतीय आज इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं और इसमें बड़ा हिस्सा केवल मोबाइल पर इस सेवा का उपभोग करता है। आधार संख्या और खाते में भुगतान जैसी योजनाओं ने इसे बढ़ावा देने में बड़ी भूमिका निभायी। कोरोना महामारी के मौजूदा दौर में इंटरनेट न केवल कामकाज, पढ़ाई और मनोरंजन का मुख्य जरिया बना, बल्कि इससे राहत एवं बचाव में भी मदद मिली। आरोग्य सेतु एप और कोविन पोर्टल महामारी से जूझने में बड़ा हथियार साबित हुए हैं। छह साल पहले शुरू हुए डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत गांवों तक ब्रॉडबैंड का जाल बिछाने का काम जारी है। कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ई-रूपी सेवा का उद्घाटन किया है। अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग और क्लाउड पर ध्यान दिया जा रहा है। डाटा इस्तेमाल और सुरक्षा को भी प्राथमिकता दी जा रही है और नियम-कानून लाये जा रहे हैं। निजता के अधिकार के प्रति संवेदनशीलता और हैंकिंग से बचाव के उपायों पर गंभीरता की आवश्यकता है ताकि इंटरनेट का अधिकाधिक लाभ उठाया जा सके। हालांकि भारत में स्मार्टफोन और इंटरनेट कनेक्शन का तेज विस्तार हो रहा है, लेकिन स्पीड और कनेक्टिविटी से जुड़ी समस्याओं का समाधान किया जाना चाहिए। इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए सरकारी निवेश के साथ निजी क्षेत्र की ओर से अधिक योगदान वांछित है। विकास और समृद्धि के लिए इंटरनेट को अत्याधुनिक बनाना आवश्यक है।