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डिजिटल स्वास्थ्य पहचान पत्र की शुरुआत तीन वर्ष पहले शुरू हुई आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में नया आयाम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन करते हुए इसे असाधारण पहल की संज्ञा दी है। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में उन्होंने राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन की प्रारंभिक परियोजना की घोषणा की थी।
इस डिजिटल कार्ड में व्यक्ति के सभी मेडिकल दस्तावेज और उपचार का पूरा ब्यौरा संग्रहित होंगे। इससे अस्पतालों में ढेर सारे दस्तावेजों, रिपोर्टों आदि को ढोकर ले जाने से छुटकारा भी मिलेगा और उनके खो जाने का डर भी नहीं होगा। चूंकि सभी जानकारियां डिजिटल रूप में होंगी, तो रोगी की सहमति से उन्हें किसी बड़े शहर में स्थित विशेषज्ञ चिकित्सक को दिखा पाना भी संभव हो सकेगा तथा बिना यात्रा किये रोगी को सलाह मिल जायेगी या उसके स्थानीय चिकित्सक को मार्गदर्शन प्राप्त हो सकेगा।
डिजिटल स्वास्थ्य मिशन का प्रारंभिक चरण छह केंद्रशासित प्रदेशों से शुरू हो रहा है। भारत डिजिटल तकनीक के व्यापक विस्तार के दौर से गुजर रहा है। कोरोना महामारी की रोकथाम और टीकाकरण अभियान में प्रमुखता से इस्तेमाल हो रहीं कोविन, आरोग्य सेतु जैसी पहलों ने हमारे डिजिटल अनुभव को बहुत अधिक बढ़ाया है। कोरोना काल में स्मार्टफोन के जरिये बड़ी संख्या में लोगों ने संक्रमण संबंधी सलाह लेने के साथ अन्य रोगों के उपचार हासिल किया है।
बड़े शहरों में स्थित कुछ अत्याधुनिक अस्पतालों ने अपने रोगियों के लिए सीमित रूप से डिजिटल सूचना संग्रहण की सुविधा मुहैया करायी है तथा कुछ स्टार्टअप भी इस क्षेत्र में आ रहे हैं। लेकिन भारत सरकार के डिजिटल स्वास्थ्य मिशन से बड़ी तादाद में आम भारतीय तकनीक के विकास का लाभ लेते हुए अपने को स्वस्थ रख सकेंगे। पिछले कुछ वर्षों में स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकार ने प्राथमिकता से ध्यान दिया है। आयुष्मान योजना के तहत पचास करोड़ गरीब और निम्न आयवर्गीय आबादी को उत्कृष्ट स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल रहा है। यह जगजाहिर तथ्य है कि गंभीर बीमारियों का इलाज कराना दिन-ब-दिन बेहद महंगा होता जा रहा है। इतना ही नहीं, उपचार के भारी खर्च की वजह से बड़ी संख्या में लोग हर साल गरीबी रेखा से नीचे आ जाते हैं। इस समस्या का बहुत हद तक समाधान आयुष्मान भारत योजना से हो सका है। उल्लेखनीय है कि यह दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी बीमा योजना है।
 इसके तहत तीन वर्षों में सवा दो करोड़ लोग लाभान्वित हो चुके हैं। देशभर में मेडिकल कॉलेज और अच्छे अस्पताल बनाने की कोशिशें भी जारी हैं।

हमारा देश उन देशों में शामिल है, जो स्वास्थ्य के मद में अपने सकल घरेलू उत्पादन का बहुत मामूली हिस्सा खर्च करते हैं। यह अभी लगभग सवा फीसदी है। कुछ वर्षों में सरकार ने इसे बढ़ाकर 2।5 फीसदी करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। आशा है कि डिजिटल कार्ड इस लक्ष्य को साकार करने में बड़ी भूमिका निभा सकता है।