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नई दिल्ली। क्रिप्टोकरेंसी का बाजार बेहद अनियमित है, यहां एक पल में ही निवेशक आसमान पर पहुंच जाता है तो दूसरे ही पल जमीन पर आ गिरता है। बीते दिनों से डिजिटल करेंसी के बाजार में जो हालात बने हुए हैं, उन्हें देख निवेशकों में नकारात्मक भावना घर कर गई है। यही कारण है बिटक्वाइन-इथेरियम से लेकर ज्यादातर करेंसी धराशायी हो चुकी हैं। इस दौरान सबसे ज्यादा झटका टेरा और उसकी सिस्टर करेंसी लूना के निवेशकों को लगा है। इन दोनों में इतनी गिरावट आई कि एक्सचेंजों ने इन्हें डिलिस्ट ही कर दिया। एक झटके में निवेशकों को इतना घाटा सबसे पहले बता दें कि जहां पहले टेरा का हाल बेहाल होने से निवेशकों को चूना लगा, तो वहीं इसके कदम से कदम मिलाते हुए लूना इस कदर टूटा कि अपने निवेशकों को पूरी तरह से झकझोर कर रख दिया। क्रिप्टोकरेंसी लूना लगभग 100 फीसदी टूट चुकी है, रिपोर्ट की मानें तो इसका दाम 9000 रुपये से गिरकर 50 पैसे रह गया है। शनिवार को इसमें आई गिरावट से निवेशकों के 40 अरब डॉलर डूब गए थे। क्रिप्टो बाजार के खतरे हुए उजागर लूना में आई इस बड़ी गिरावट ने उन बातों की पुष्टि की है कि क्रिप्टोकरेंसी के बाजार में ऐसी अनियमितता है जो निवेशकों के लिए बड़ा खतरा बन सकती है। बीते कुछ समय से क्रिप्टोकरेंसियों में गिरावट का जो दौर जारी है, उससे टेरा या लूना ही नहीं, बल्कि दुनिया के सबसे लोकप्रिय बिटक्वाइन समेत अन्य का भी बुरा हाल है। बिटक्वाइन अपने उच्च स्तर से 50 फीसदी से ज्यादा तक टूट चुका है। इस समय क्रिप्टो बाजार में बिकवाली का असर भी गिरावट के रूप में साफ दिख रहा है। एक्सचेंजों ने कर दिया डिलिस्ट सबसे बड़ी गिरावट के चलते एक्सचेंजों ने लूना और टेरा दोनों को अपने प्लेटफॉर्म से डिलिस्ट कर दिया है यानी हटा दिया है। क्रिप्टोकरेंसी की कीमत में भारी गिरावट आने पर क्रिप्टो एक्सचेंज इसे अपने प्लेटफॉर्म से हटा देते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि नए निवेशक उस क्रिप्टो को न खरीद सकें। चूंकि लूना का दाम बहुत गिरा है, ऐसे में नए निवेशक इस उम्मीद में इसे खरीद सकते हैं कि इसकी वैल्यू फिर से बढ़ सकती है। हालांकि, अगर क्रिप्टो कुछ एक्सचेंज पर डिलिस्ट हो गई है तो भी निवेशक ऐसे एक्सचेंज पर उन्हें ट्रांसफर कर सकते हैं जहां पर वे अब भी लिस्टेड हैं। लगातार क्यों गिर रही क्रिप्टोकरेंसी क्रिप्टोकरेंसी बाजार में लगातार आ रही भारी गिरावट की असल वजह स्टेबलक्वाइन है। दरअसल, इस वक्त स्टेबलक्वाइन में अस्थिरता बनी हुई है, जिसका सबसे खराब असर टेरा और लूना क्वाइन पर पड़ा है। लूना के दाम में 100 फीसदी की गिरावट आई है। क्रिप्टो एक्सचेंज यूनोकॉन के सीईओ और को-फाउंडर सात्विक विश्वनाथ ने बताया कि इस वक्त दुनियाभर के इक्विटी और कमोडिटी बाजारों में भारी गिरावट आ रही है, जिसका असर क्रिप्टो मार्केट पर भी पड़ रहा है। विशेषज्ञ बोले-गिरावट से लेना होगा सबक विशेषज्ञ इस गिरावट की तुलना 2008 के बड़े वित्तीय संकट से कर रहे हैं। उनका कहना है कि ये हमें वित्तीय संपत्तियों को नियंत्रित करने वाले सख्त कानूनों की मांग करने के लिए भी प्रेरित कर रही है। मुथूत माइक्रोफिन के सीईओ सदफ सईद समेत कई वित्तीय विशेषज्ञों ने कहा कि इस लूना दुर्घटना को एक सबक के तौर पर लेना चाहिए। खासकर, विकासशील देशों में जहां हाल ही में अमीर बनने वाले लोगों के लिए क्रिप्टोकरेंसी में निवेश एक सनक के तौर पर सामने आया है। बहरहाल, लूना में जो गिरावट आई है उसके फिर से खड़े होने पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। हालांकि क्रिप्टो के अनियमित बाजार को देखें तो यहां कब कौन सी क्रिप्टोकरेंसी फायदे का सौदा बन जाए कोई नहीं कह सकता।