Head Office

SAMVET SIKHAR BUILDING RAJBANDHA MAIDAN, RAIPUR 492001 - CHHATTISGARH

tranding

नई दिल्ली। बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में सरकार गेहूं की तरह अब चीनी निर्यात पर भी प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है। इसके अलावा, एक बार फिर पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती की जा सकती है।  

सरकारी सूत्रों का कहना है कि घरेलू कीमतों में बढ़ोतरी को रोक लगाने के लिए सरकार करीब 6 साल में पहली बार चीनी निर्यात की सीमा तय कर सकती है। यह भी संभव है कि सरकार इस सीजन में निर्यात को एक करोड़ टन पर सीमित कर दे। भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है। निर्यात के मामले में दूसरे नंबर पर है। ब्राजील सबसे ज्यादा चीनी निर्यात करता है। चीनी उद्योग संगठन इस्मा का कहना है कि चालू विपणन सीजन में रिकॉर्ड 90 लाख टन चीनी का निर्यात हो सकता है। अब तक 70 लाख टन का निर्यात हो चुका है और कुल 83 लाख टन के लिए करार हुआ है। पिछले साल 72 लाख टन निर्यात किया गया था। इससे पहले सरकार ने 16 मई को गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था।

सरकार ने तेल की घरेलू कीमतों को कम करने के लिए मंगलवार को कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल के सालाना 20 लाख मीट्रिक टन आयात पर सीमा शुल्क और कृषि बुनियादी ढांचे के विकास उपकर से छूट दी है। वित्त मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी के तेल के लिए प्रति वर्ष 20 लाख मीट्रिक टन का शुल्क मुक्त आयात दो वित्तीय वर्ष (2022-23, 2023-24) के लिए लागू होगा। छूट से घरेलू कीमतों को कम करने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। सीबीआईसी ने ट्वीट किया, इससे उपभोक्ताओं को काफी राहत मिलेगी।

सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती की थी 
पिछले हफ्ते तेल की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती की थी और स्टील और प्लास्टिक उद्योग में इस्तेमाल होने वाले कुछ कच्चे माल पर आयात शुल्क भी माफ कर दिया था। इसके अलावा लौह अयस्क और लौह छर्रों पर निर्यात शुल्क बढ़ाया गया था। 

ईंधन से लेकर सब्जियों और खाना पकाने के तेल तक सभी वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि ने थोक मूल्य मुद्रास्फीति को अप्रैल में 15.08 प्रतिशत के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर धकेल दिया और खुदरा मुद्रास्फीति आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई। उच्च मुद्रास्फीति ने रिजर्व बैंक को इस महीने की शुरुआत में बेंचमार्क ब्याज दर को 40 आधार अंक बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत करने के लिए एक आपात बैठक आयोजित करने पर मजबूर कर दिया था।