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नई दिल्ली। आईपीएल 2022 में कई युवा सितारों ने अपनी पहचान बनाई और दिखाया कि भारतीय क्रिकेट का भविष्य कितना उज्जवल है। इनमें से कई खिलाड़ी ऐसे भी थे, जिन्होंने मुश्किल हालातों में क्रिकेट सीखा और संघर्ष करने के बाद उन्हें आईपीएल में खेलने का मौका मिला। इन खिलाड़ियों ने आईपीएल के जरिए न सिर्फ अपना नाम बनाया बल्कि अपने घर को गरीबी से भी दूर किया। यहां हम ऐसे ही जुझारू युवा खिलाड़ियों के बारे में बता रहे हैं। 

कुलदीप सेन
राजस्थान के लिए आखिरी ओवर में 15 रन बचाकर सुर्खियां बटोरने वाले कुलदीप सेन अब राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके हैं। मध्यप्रदेश के लिए कमाल करने के बाद अब कुलदीप आईपीएल में अपना जलवा बिखेर चुके हैं और उनका अगला लक्ष्य भारतीय टीम में जगह बनाना है। हालांकि, रीवा के कुलदीप सेन के लिए यहां तक का सफर कई मुश्किलों से भरा रहा है। 

कुलदीप का जन्म मध्यप्रदेश के रीवा जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनके पिता बाल काटने का काम करते हैं। घर के सबसे बड़े बेटे कुलदीप ने महज आठ साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। पहले वो बतौर बल्लेबाज अपना करियर बनाना चाहते थे, लेकिन बाद में कोच के कहने पर उन्होंने तेज गेंदबाजी शुरू की। कुलदीप ने जिस एकेडमी में क्रिकेट सीखा, उसने उनकी फीस भी माफ कर दी ताकि वो अपना सपना पूरा कर सकें। 

साल 2018 में कुलदीप ने पहला प्रथम श्रेणी मैच खेला। वो मध्यप्रदेश का रणजी टीम का हिस्सा बने। बाद में उन्होंने इसी टीम के लिए टी20 मैच भी खेला। अपने पहले रणजी सीजन में उन्होंने 25 विकेट लिए, जिसमें पंजाब के खिलाफ एक पारी में लिए गए पांच विकेट भी शामिल थे। इसके बाद भी उनका शानदार प्रदर्शन जारी है। 

तिलक वर्मा
तिलक वर्मा ने अपने पहले ही आईपीएल सीजन में मुंबई इंडियंस के लिए कमाल किया है। मेगा ऑक्शन में 1.7 करोड़ में बिकने वाले तिलक के लिए क्रिकेटर बनना आसान नहीं था। कभी तिलक के पास खाने के लिए भी पैसे नहीं थे। वे हैदराबाद के चंद्रयानगुट्टा की गलियों में क्रिकेट खेलते थे। नौ साल की उम्र में ही बैट लेकर खड़े होने का अंदाज (स्टांस) कट और पुल शॉट खेलने का तरीका जबरदस्त था। पिता इलेक्ट्रीशियन थे और अपने बेटे की जरूरतों को पूरा करने में सफल नहीं हो रहे थे। 

तिलक के कोच ने आगे बढ़कर तिलक वर्मा का साथ दिया। मुश्किल समय में सलाम बायश ने उन्हें अपने घर में रखा। तिलक के पिता नम्बूरी नागराजू के पासा बेटे को क्रिकेट एकेडमी में भेजने के लिए पैसे नहीं थे। ऐसे में कोच ने उनके लिए क्रिकेट के सामान खरीदे। लेगाला क्रिकेट एकेडमी में ज्यादातर खर्च उन्होंने ही उठाया। कोरोना महामारी में तिलक के पिता को काम मिलना बंद हो गया था। परिवार के चार सदस्यों का पालन-पोषण मुश्किल हो गया था। ऐसी परिस्थिति में तो तिलक को क्रिकेट छोड़ने पर मजबूर होना पड़ता, लेकिन कोच सलाम बायश ने उनका साथ दिया और अब तिलक आईपीएल में कमाल कर चुके हैं। 

रिंकू सिंह
आईपीएल 2022 में कोलकाता नाइट राइडर्स के आखिरी मैच में कमाल की पारी खेलने वाले रिंकू सिंह लंबे समय से आईपीएल का हिस्सा रहे हैं। हालांकि, उन्हें पहचान लखनऊ के खिलाफ तूफानी पारी के जरिए मिली। वो अपनी टीम को जीत नहीं दिला सके, लेकिन अपनी पारी से सभी का दिल जीत लिया। रिंकू के लिए आईपीएल खेलना आसान नहीं था। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के रहने वाले रिंकू के पिता एक गैस वेंडर हैं। 

पांच बेटों में से एक रिंकू को स्कूल के समय से ही क्रिकेट काफी पसंद था और वह खाली समय में दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलते थे। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी और रिंकू के भाई ने उन्हें कोचिंग सेंटर में पोछा लगाने की नौकरी दिलाई। रिंकू यह काम नहीं कर पाए और उन्होंने क्रिकेट में मन लगाने का फैसला किया। रिंकू ने पहले घरेलू क्रिकेट में कमाल किया फिर कोलकाता की टीम में चुने गए और अब आईपीएल में कमाल कर रहे हैं। 

कुमार कार्तिकेय
आईपीएल 2022 में मुंबई इंडियंस के लिए कमाल करने वाले कुमार कार्तिकेय के लिए क्रिकेटर बनना आसान नहीं था। कार्तिकेय 2013 में अपने घर से निकल गए थे। उन्होंने यह ठाना था कि कुछ बनकर ही घर वापस लौटेंगे। घर छोड़ने के बाद उन्होंने रोज की जरूरतें पूरी करने के लिए मजदूरी की, लेकिन क्रिकेटर बनने का सपना नहीं छोड़ा। अंत में उन्हें रिप्लेसमेंट के रूप में मुंबई इंडियंस के साथ जुड़ने का मौका मिला। सीजन के आखिरी कुछ मैचों में उन्हें खेलने का मौका मिला और उन्होंने काफी प्रभावित किया। अब कार्तिकेय अगले सीजन में मुंबई के लिए कमाल कर सकते हैं। 

अभिनव मनोहर 
गुजरात टाइटंस के लिए पहले मैच में ही अभिनव मनोहर ने कमाल का प्रदर्शन किया था। उन्होंने मुश्किल समय में सात गेंद में 15 रन बनाकर अपनी टीम को जीत दिलाई थी। हालांकि, बाद में उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया, लेकिन मनोहर अपनी खास छाप छोड़कर गए हैं। आईपीएल मेगा ऑक्शन में गुजरात ने उन्हें 2.60 करोड़ में खरीदा था। अभिनव के लिए भी क्रिकेटर बनना आसान नहीं था। उनके पिता जूते की दुकान चलाते थे और पिता के दोस्त कपड़े की दुकान चलाते थे। यहीं से अभिनव क्रिकेट के मैदान तक पहुंचे और उनका जीवन बदल गया।