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0 नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला बोले- भाजपा जीत के लिए वोट इंपोर्ट कर रही

श्रीनगर। आर्टिकल-370 खत्म होने के बाद नवंबर-दिसंबर में जम्मू कश्मीर में पहली बार चुनाव हो सकते हैं। चुनाव के पहले विवाद की जमीन भी तैयार है। यहां पहली बार गैर कश्मीरियों को वोट का अधिकार देने की तैयारी है। यानी जो लोग कश्मीरी मूल के नहीं हैं, लेकिन यहां रह रहे हैं, वे भी वोट डाल सकेंगे।

ऐसे 20 से 25 लाख लोगों को वोटर लिस्ट में जोड़ा जा रहा है। इनमें सबसे ज्यादा सुरक्षाबलों के जवान और प्रवासी मजदूर होंगे। राज्य चुनाव आयोग की इस घोषणा के बाद जम्मू कश्मीर की राजनीति के सारे समीकरण बदल गए हैं। माना जा रहा है कि इसका सबसे बड़ा फायदा भाजपा को होगा। इस पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि भाजपा जीत के लिए वोटर इंपोर्ट कर रही है।

30% मतदाता बढ़ जाएंगे
डेटा से साफ है कि जम्मू-कश्मीर में करीब 30% नए वोटर जुड़ने जा रहे हैं। इनमें सबसे बड़ी तादाद सुरक्षाबलों के जवानों की होगी। इसके बाद उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों से जाने वाले प्रवासी मजदूर होंगे। जम्मू-कश्मीर के चीफ इलेक्शन कमिश्नर हृदेश कुमार ने बताया कि आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद बड़ी संख्या में नए वोटर जोड़े जाएंगे। आरपीए में नियम है कि व्यक्ति जहां भी खुद का वोटर कार्ड बनवाना चाहता है, उसे वहां रहना चाहिए। चुनाव आयोग से जुड़े अधिकारी फैसला करेंगे कि वह जम्मू कश्मीर में रहता है या नहीं।

35A हटने की वजह से मिलेगा वोट का अधिकार
आर्टिकल-35A के हटने से पहले दूसरे राज्यों से आकर लोग जम्मू-कश्मीर में न तो बस सकते थे, न ही उन्हें संपत्ति खरीदने का अधिकार था। इस आर्टिकल के तहत कश्मीर में रह रहे दूसरे राज्य के नागरिकों को पंचायत और विधानसभा चुनावों में भी वोट डालने का अधिकार नहीं होता था। इसके पहले वे सिर्फ लोकसभा चुनावों में ही वोट डाल सकते थे। 35A हटने से ऐसे सभी लोग, जो कश्मीर में भले ही अस्थायी रूप से रह रहे हैं, उन्हें वोटिंग लिस्ट में शामिल होने का अधिकार होगा।

बदलाव से भाजपा को सबसे ज्यादा फायदा
चुनाव विश्लेषक संजय कुमार कहते हैं कि अगर जम्मू-कश्मीर की वोटर लिस्ट में आप 33% नए वोटर जोड़ दें और इनमें ज्यादातर ऐसे हों जो दूसरे राज्यों से आकर बसे हों, तो इससे राज्य के चुनावी समीकरण पूरी तरह बदल जाएंगे। घाटी में ऐतिहासिक रूप से सिर्फ दो पार्टियों नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी का दबदबा रहा है। वहां भाजपा पैठ नहीं बना पाई है। कांग्रेस की भी थोड़ी ही जगह है। नए जुड़ने वाले वोटर्स का कश्मीर वाली पार्टियों से ज्यादा सरोकार नहीं है। वोटर्स का ये 33% हिस्सा नेशनल पार्टियों के साथ जा सकता है। नेशनल पार्टियों में भाजपा को ही सबसे ज्यादा फायदा मिलते हुए दिख रहा है। भाजपा जम्मू कश्मीर में दमखम से चुनाव लड़ते हुए दिख सकती है। 

पीडीपी के जुड़े नेता और वकील फिरदौस टाक कहते हैं कि ‘जम्मू, सांबा, ऊधमपुर, कठुआ, रेयासी, किस्तवाड़, डोडा, रामबन जैसे इलाकों में सुरक्षाबलों से जुड़े जवान सबसे ज्यादा पीसफुल पोस्टिंग में हैं, इसलिए फैसले का सबसे ज्यादा असर जम्मू में देखने को मिलेगा। कश्मीर घाटी में सुरक्षा चिंता की वजह से शायद कम लोग रजिस्ट्रेशन कराएं। 370 हटाए जाने का सबसे ज्यादा असर जम्मू पर होगा।

परिसीमन के बाद जम्मू कश्मीर में 90 सीटें
जम्मू-कश्मीर में परिसीमन के बाद 90 सीटें हो गई हैं। इनमें से 7 अनुसूचित जाति के लिए हैं। पहली बार अनुसूचित जनजाति के लिए भी 9 सीटें रिजर्व की गई हैं। चुनाव आयोग के हृदेश कुमार ने बताया कि सभी 90 विधानसभाओं के लिए नए सिरे से वोटर लिस्ट बनाने पर काम हो रहा है। इसके लिए 1 जनवरी 2019 की डेडलाइन रखी गई थी। अब 1 अक्टूबर 2022 तक या उससे पहले जो 18 साल के हो गए हैं, वे वोटर लिस्ट में नाम जुड़वा सकते हैं। कुमार ने बताया कि इस प्रक्रिया से वोटिंग लिस्ट में करीब 25 लाख नए लोग शामिल होंगे। करीब 600 नए पोलिंग स्टेशन बनाए गए हैं। अब 11,370 पोलिंग स्टेशन हो गए हैं। हर पोलिंग स्टेशन पर वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट शेयर किया जाएगा। हर जगह वोटर रजिस्ट्रेशन के लिए कैंप लगाए जाएंगे। यहां नए वोटर जुड़ सकते हैं। करेक्शन भी करवा सकते हैं। आधार नंबर के साथ वोटर लिस्ट को लिंक किया जाएगा। 25 नवंबर को फाइनल लिस्ट जारी कर दी जाएगी।