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0 याचिकाकर्ता ने कहा- बैन का फैसला मनमाना

नई दिल्ली। पीएम मोदी पर बनी बीबीसी डॉक्यूमेंट्री "इंडिया: द मोदी क्वेश्चन" पर लगा बैन हटाने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिका एडवोकेट एमएल शर्मा ने लगाई है। इसमें कहा गया है कि जनता के मौलिक अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए डॉक्यूमेंट्री पर लगी रोक हटा दी जाए।

याचिका सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच में तत्काल सुनवाई के लिए रखी गई, हालांकि सीजेआई ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए 6 फरवरी का दिन तय किया है।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया और ऑनलाइन चैनलों पर डॉक्यूमेंट्री बैन कर दी है, लेकिन इसे देश भर के कई कॉलेज और यूनिवर्सिटी में दिखाया गया है।

कानून मंत्री बोले- सुप्रीम कोर्ट के समय की बर्बादी
सुप्रीम कोर्ट में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर लगे बैन को हटाने की मांग करने वाली याचिका पर कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे सुप्रीम कोर्ट की समय की बर्बादी बताया है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा- इस तरह वे सर्वोच्च न्यायालय का कीमती समय बर्बाद करते हैं, जहां हजारों आम नागरिक न्याय के लिए तारीखों का इंतजार कर रहे हैं।

दंगों के लिए जिम्मेदारों पर भी करें कार्रवाईः याचिकाकर्ता
याचिका में गुजरात दंगों के लिए जिम्मेदार लोगों की जांच की भी मांग की गई है। एमएल शर्मा ने कहा है कि बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के दोनों एपिसोड और बीबीसी के रिकॉर्ड किए गए सभी ओरिजनल फैक्ट्स की जांच करें। साथ ही गुजरात दंगों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी तरह से जिम्मेदार या शामिल आरोपियों के खिलाफ आईपीएस की धारा 146, 302, 376, 425 और 120-बी और के तहत उचित कार्रवाई करें।

याचिकाकर्ता का दावा- डॉक्यूमेंट्री दंगों की जांच में मददगार
जनहित याचिका में दावा किया गया है कि 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' नामक डॉक्यूमेंट्री में 2002 के गुजरात दंगों और उनमें प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका की जांच की गई है। जब दंगे भड़के थे, तब पीएम मोदी, गुजरात के मुख्यमंत्री थे।

याचिका में यह भी कहा गया है कि डॉक्यूमेंट्री में दंगे रोकने में नाकामयाब रहे जिम्मेदारों से जुड़े कई फैक्ट्स हैं। हालांकि, सच्चाई सामने आने के डर से इसे सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2021 के नियम 16 के तहत बैन किया गया है। रिकॉर्ड किए गए फैक्ट्स भी सबूत हैं और इन्हें पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जिसे न्याय नहीं मिला है।

इसलिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
याचिकाकर्ता एमएल शर्मा ने कहा है कि याचिका दायर करने का कारण 21 जनवरी 2023 को सामने आया, जब IT नियम 2021 के नियम 16 को लागू करते हुए जनता को गुजरात दंगों का खुलासा करने वाली BBC डॉक्यूमेंट्री देखने पर रोक लगा दी थी। यह बैन संविधान के आर्टिकल 19 (1) (ए) के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उल्लंघन के बराबर है। इस मामले से जुड़ी एक और याचिका एडवोकेट सीयू सिंह ने भी दायर की है, जिसमें सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने बैन लगाने के लिए आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग किया है। डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग के लिए छात्रों को यूनिवर्सिटी से निकाला जा रहा है।