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0 शीर्ष अदालत ने कहा- पारदर्शिता चाहते हैं, सरकार कमेटी मेंबर्स के नाम लिफाफे में देना चाहती थी

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अडाणी-हिंडनबर्ग मामले में एक्सपर्ट्स के नाम सीलबंद लिफाफे में लेने से इनकार कर दिया है। पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट के कहने पर सरकार एक्सपर्ट कमेटी बनाने को तैयार हो गई थी। उस समय सरकार ने एक्सपर्ट्स के नाम सीलबंद लिफाफे में देने की पेशकश की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह ट्रांसपेरेंसी चाहता है। लिहाजा केंद्र का सुझाव नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने कहा- आपने जो नाम सौंपे हैं, वह दूसरे पक्ष को नहीं दिए गए तो पारदर्शिता की कमी होगी। इसलिए हम अपनी तरफ से कमेटी बनाएंगे। उन्होंने कहा कि हम आदेश सुरक्षित रख रहे हैं। कमेटी यह देखेगी कि स्टॉक मार्केट के रेगुलेटरी मैकेनिज्म में फेरबदल की जरूरत है या नहीं।

अडाणी-हिंडनबर्ग केस में सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं 4 याचिकाएं
इस मामले में अभी तक 4 जनहित याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। एडवोकेट एम एल शर्मा, विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और सोशल वर्कर मुकेश कुमार ने ये याचिकाएं दायर की हैं। मामले में पहली सुनवाई चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला ने 10 फरवरी को की थी। दूसरी सुनवाई सोमवार 13 फरवरी को हुई।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से निवेशकों को नुकसान
याचिकाओं में दावा किया गया है कि हिंडनबर्ग ने शेयरों को शॉर्ट सेल किया जिससे 'निवेशकों को भारी नुकसान' हुआ। इसमें ये भी कहा गया है कि रिपोर्ट ने देश की छवि को धूमिल किया है। यह अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है। इसके साथ ही रिपोर्ट पर मीडिया प्रचार ने बाजारों को प्रभावित किया और हिंडनबर्ग के फाउंडर नाथन एंडरसन भी भारतीय नियामक सेबी को अपने दावों का प्रमाण देने में विफल रहे।

हिंडनबर्ग ने शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप लगाए
24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। रिपोर्ट में ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप लगाए गए थे। रिपोर्ट के बाद ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली थी। 3 फरवरी को अडाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 1000 रुपए के करीब पहुंच गया था।