0 कहा-इसे कानूनी मान्यता की मांग केवल एलीट क्लास की सोच
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सेम सेक्स मैरिज को वैध ठहराए जाने की डिमांड सिर्फ शहरी एलीट क्लास की है। इससे आम नागरिकों के हित प्रभावित होंगे। सरकार ने कहा कि इस पर फैसला करना संसद का काम है। कोर्ट को इस पर फैसले से दूर रहना चाहिए।
केंद्र ने सेम सेक्स मैरिज पर दूसरा हलफनामा पेश किया और इसके पक्ष में दायर याचिकाओं पर सवाल उठाया है। सरकार ने कहा कि यह केवल शहरी एलीट क्लास का नजरिया है और इन याचिकाओं का मकसद ऐसी शादी को सिर्फ सामाजिक स्वीकार्यता दिलाना है। सभी धर्मों में विवाह का एक सामाजिक महत्व है। हिन्दू में विवाह को संस्कार माना गया है, यहां तक की इस्लाम में भी। इसलिए इन याचिकाओं काे खारिज कर देना चाहिए।
याचिकाकर्ता कपल का तर्क
समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से जुड़ी याचिकाओं में एक याचिका हैदराबाद के समलैंगिक कपल सुप्रियो और अभय की है। कपल ने अपनी याचिका में कहा है कि दोनों एक दूसरे को एक दशक से ज्यादा वक्त से जानते हैं और रिलेशनशिप में हैं। इसके बावजूद शादीशुदा लोगों को जो अधिकार मिले हैं, उन्हें उन अधिकारों से वंचित रखा गया। जबकि सुप्रीम कोर्ट बार-बार यह दोहराता रहा है कि कोई भी वयस्क व्यक्ति अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने और जिंदगी जीने के लिए स्वतंत्र है। कपल ने अपनी याचिका में कहा है कि सरोगेसी से लेकर, एडॉप्शन और टैक्स बैनिफिट जैसी कई सुविधाएं सिर्फ शादीशुदा लोगों को ही मिलती हैं। उन्हें भी इस तरह की सुविधाएं मिलनी चाहिए।
मामले की अगली सुनवाई कल होगी
सुप्रीम कोर्ट ने 13 मार्च को सेम सेक्स मैरिज से जुड़ी सभी याचिकाओं को पांच जजों की संवैधानिक बेंच के पास भेज दिया था। बेंच में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस हिमा कोहली शामिल हैं। ये बेंच 18 अप्रैल को इन याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेगी।