नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के समक्ष केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि वह राजद्रोह कानून में बदलाव करना चाहती है और इसके लिए विचार-विमर्श की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ को अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने केंद्र सरकार के रुख से अवगत कराया। श्री वेंकटरमणि ने पीठ के समक्ष कहा कि केंद्र भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124-ए के तहत राजद्रोह कानून में संशोधन करना चाहता है और इस संबंध में परामर्श की जरूरी प्रक्रिया अंतिम चरण में है। उम्मीद है कि कानून में बदलाव के लिए सरकार संसद के मानसून सत्र में जरूरी प्रक्रिया पूरी कर लें।
राजद्रोह कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पीठ ने केंद्र का बयान दर्ज करने के बाद कहा कि वह इस मामले की अगली सुनवाई संसद के मानसून सत्र के बाद अगस्त के दूसरे सप्ताह में करेगी। शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में फैसला आने तक आईपीसी की धारा 124-ए के तहत प्राथमिकी दर्ज करने पर रोक का इस अदालत का अंतरिम आदेश लागू रहेगा यानी इस धारा के तहत कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाएगी।