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हाईकोर्ट ने आदेश में कहा-न्याय के लिए सर्वे जरूरी; बौद्ध पक्ष की भी एंट्री

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे की इजाजत दे दी। मुस्लिम पक्ष ने ज्ञानवापी के सर्वे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इधर इस मामले में बौद्ध पक्ष की एंट्री हो गई है और ज्ञानवापी को बौद्ध मठ होने का दावा किया है। 

पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने एएसआई से सुनवाई खत्म होने तक मस्जिद का सर्वे शुरू नहीं करने को कहा था। जुलाई के अंतिम सप्ताह में कोर्ट में दोनों पक्षों की तरफ से लगातार दो दिन बहस चली थी। 27 जुलाई को कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंचा
दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। उनके वकील मुमताज अहमद ने यह जानकारी दी।
इससे पहले विश्व वैदिक सनातन संघ की संस्थापक सदस्य और श्रृंगार गौरी मुकदमे की मुख्य याचिकाकर्ता राखी सिंह की ओर से सुप्रीम कोर्ट में केविएट पिटीशन दाखिल कर दी गई है। केविएट पिटीशन का मतलब मतलब है कि कोर्ट के सामने लाए गए किसी भी मामले पर फैसले से पहले उसका पक्ष भी सुना जाए।

बौद्ध धर्म गुरु का दावा-ज्ञानवापी बौद्ध मठ
वहीं बौद्ध धर्म गुरु सुमित रतन भंते ने सुप्रीम कोर्ट याचिका दाखिल की है। दावा किया है कि ज्ञानवापी उनका मठ है। उन्होंने कहा कि देश में तमाम ऐसे मंदिर हैं, जो बौद्ध मठों को तोड़कर बनाए गए हैं।