0 चेन्नई एयरपोर्ट पर जुटी भीड़ देखकर बोले- बहुत खुश हूं, ये चेस के लिए अच्छा है
चेन्नई। भारत के युवा चेस खिलाड़ी रमेशबाबू प्रगनानंदा का चेन्नई पहुंचने पर स्वागत किया गया।प्रगनानंदा ने चेन्नई पहुंचने के बाद कहा, 'मैं इतनी संख्या में लोगों को देखकर खुश हूं। यह चेस के लिए अच्छा संकेत है।' प्रगनानंदा अजरबैजान के बाकू में हुए FIDE वर्ल्ड कप में रनर अप रहे थे।
प्रगनानंदा ने चेन्नई एयरपोर्ट से अपने पैरंट्स के साथ तमिलनाडु सीएम एम के स्टालिन और खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन से मिले।
फाइनल में उन्हें 5 बार के वर्ल्ड चैंपियन मैग्नस कार्लसन ने टाईब्रेकर में 1.5-0.5 से हराया। टाईब्रेकर का पहला रैपिड गेम नॉर्वे के खिलाड़ी ने 47 मूव के बाद जीता था। दूसरा गेम ड्रॉ रहा और कार्लसन चैंपियन बन गए। इससे पहले, दोनों ने क्लासिकल राउंड के दोनों गेम ड्रॉ खेले थे।
प्रगनानंदा अगर यह मुकाबला जीत जाते तो 21 साल बाद कोई भारतीय यह टाइटल जीतता। इससे पहले विश्वनाथन आनंद ने 2002 में इस चैंपियनशिप में जीत हासिल की थी। तब प्रगनानंदा पैदा भी नहीं हुए थे।
पिता बैंक में काम करते हैं, मां हाउस वाइफ
प्रगनानंदा का जन्म 10 अगस्त, 2005 को चेन्नई में हुआ। उनके पिता स्टेट कॉर्पोरेशन बैंक में काम करते हैं, जबकि मां नागलक्ष्मी एक हाउसवाइफ हैं। उनकी एक बड़ी बहन वैशाली आर हैं। वैशाली भी शतरंज खेलती हैं।
प्रगनानंदा का नाम पहली बार चर्चा में तब आया, जब उन्होंने 7 साल की उम्र में वर्ल्ड यूथ चेस चैम्पियनशिप जीत ली। तब उन्हें फेडरेशन इंटरनेशनल डेस एचेक्स (FIDE) मास्टर की उपाधि मिली। वे 12 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर बन गए और सबसे कम उम्र में यह उपाधि हासिल करने वाले भारतीय बने। इस मामले में प्रगनानंदा ने भारत के दिग्गज शतरंज खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद का रिकॉर्ड तोड़ा। इससे पहले, वे 2016 में यंगेस्ट इंटरनेशनल मास्टर बनने का खिताब भी अपने नाम कर चुके हैं। तब वे 10 साल के ही थे। चेस में ग्रैंडमास्टर सबसे ऊंची कैटेगरी वाले खिलाड़ियों को कहा जाता है। इससे नीचे की कैटेगरी इंटरनेशनल मास्टर की होती है।