0 दो महीने में सेना के वाहन पर दूसरा अटैक
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में सोमवार को आतंकियों ने सेना के वाहन पर हमला किया। इसमें दो जवान घायल हो गए। घटना लोहि मल्हार ब्लॉक के मचहेड़ी क्षेत्र के बडनोटा गांव की है। मचहेड़ी में आतंकियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ चल रही है। घायल जवानों को अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है।
आतंकियों ने सेना पर यह हमला तब किया जब पुलिस और सुरक्षा बलों की संयुक्त टीम मचहेड़ी क्षेत्र में तलाशी ले रही थी। यह क्षेत्र भारतीय सेना के 9 कोर के अंतर्गत आता है। सर्च के दौरान आतंकियों ने उन पर गोलीबारी की। इलाके में और अधिक सुरक्षा बल भेजा गया है।
यह दो महीने में सेना के वाहन पर दूसरा आतंकी हमला है। इससे पहले 4 मई को पुंछ के शाहसितार इलाके में एयरफोर्स के काफिले पर हमला हुआ था, जिसमें कॉर्पोरल विक्की पहाड़े शहीद हो गए थे और 4 अन्य जवान घायल हो गए थे। आतंकियों ने सुरक्षाबलों के दो वाहनों पर भारी फायरिंग की। इसमें से एक वाहन एयरफोर्स का था। दोनों गाड़ियां सनाई टॉप जा रही थीं।
6 और 7 जुलाई को कुलगाम में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच फायरिंग हुई
जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में 6 और 7 जुलाई को मुदरघम और चिन्निगम फ्रिसल में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच फायरिंग हुई थी। एनकाउंटर में सुरक्षाबलों ने 6 आतंकियों को मार गिराया था। 2 जवान भी शहीद हुए थे। अधिकारियों के अनुसार, मारे गए आतंकी हिज्बुल मुजाहिदीन से जुड़े थे। इनमें एक पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादी संगठन का स्थानीय कमांडर भी था। आतंकियों ने रविवार सुबह राजौरी जिले के मंजाकोट इलाके में एक आर्मी कैंप पर हमला किया था। इसमें एक जवान घायल हो गया। जवानों की जवाबी कार्रवाई के बाद आतंकी घने जंगल के रास्ते भाग गए। सेना और पुलिस ने सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है।
सेना के वाहनों पर हुए पिछले हमले
1. इसी साल जनवरी में भी पुंछ में हमला हुआ था
जम्मू-कश्मीर के पुंछ में इसी साल 12 जनवरी को आतंकियों ने सेना के वाहन पर हमला किया था। इसके बाद जवानों को जवाबी फायरिंग करनी पड़ी। इसमें किसी के भी घायल या मौत की खबर नहीं आई थी।
2. सुरनकोट में पिछले साल दिसंबर में भी हमला हुआ था
सुरनकोट में 21 दिसंबर को सेना के काफिले पर आतंकियों ने हमला किया था। इसमें 5 जवान शहीद हो गए थे। वारदात को 4 आतंकियों ने अंजाम दिया था। आतंकियों ने अमेरिकी एम-4 कार्बाइन असॉल्ट राइफल से स्टील बुलेट फायर की थीं। ये स्टील बुलेट सेना के वाहनों की मोटी लोहे की चादर को पार करते हुए जवानों को लगीं। पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) ने हमले की जिम्मेदारी ली थी। आतंकियों ने सोशल मीडिया पर हमले वाली जगह की तस्वीरें भी जारी कीं, जिसमें एफ-4 राइफल के इस्तेमाल का दावा किया गया।