नई दिल्ली। कांग्रेस ने असम समझौते को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले का गुरुवार को समर्थन किया और कहा कि कांग्रेस सरकार ने असम के लोगों के हित में जो काम किया था वह सही था और अब शीर्ष न्यायालय ने भी उस पर मुहर लगा दी है।
कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा कि मैं असम समझौते का समर्थन करने के माननीय उच्चतम न्यायालय के फैसले का सम्मान करता हूं। असम समझौता एक ऐतिहासिक समझौता था जिससे वर्षों के राजनीतिक आंदोलन के बाद राज्य में शांति लौटी। देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने राजनीतिक मतभेदों के बावजूद असम में शांति के लिए छात्र नेताओं से बातचीत की। आज की स्थिति अलग है।
उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर हमला किया और कहा कि भाजपा प्रदर्शनकारियों को देशद्रोही और खालिस्तानी कहती है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर को लेकर इस तरह का व्यवहार करते हैं जैसे इस राज्य का कोई अस्तित्व ही नहीं है।
गौरतलब है कि शीर्ष न्यायालय ने नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6-ए की संवैधानिक वैधता बरकरार रखते हुए इसे चुनौती देने वाली याचिका आज बहुमत के फैसले से खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्य कांत, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश, न्यायमूर्ति जे बी पार्दीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की संविधान पीठ ने 4-1 के बहुमत से कानूनी प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। न्यायालय ने यह फैसला उस याचिका पर दिया है जिसमें कहा गया था कि बंगलादेश से शरणार्थियों के आने से असम के जनसांख्यिकीय संतुलन पर असर पड़ा है। इसमें कहा गया था कि नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए राज्य के मूल निवासियों के राजनीतिक और सांस्कृतिक अधिकारों का उल्लंघन करती है।
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