0 किडनी में समस्या बताकर हाईकोर्ट से ली थी बेल; डॉक्टर की भी गई नौकरी
रायपुर/नई दिल्ली। शराब घोटाला मामले में जेल में बंद अनवर ढेबर की मेडिकल रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में फर्जी निकली। हाईकोर्ट ने शराब घोटाला मामले में अनवर ढेबर को जमानत दी थी। अब जिस मेडिकल रिपोर्ट को आधार मानकर ये फैसला दिया गया था, वो रिपोर्ट ही फर्जी निकली है। ईडी और ईओडब्ल्यू दोनों के ही मामले में शराब कारोबारी अनवर ढेबर आरोपी है और इस वक्त जेल में बंद हैं।
बता दें कि बेल के लिए ढेबर ने खुद की किडनी में समस्या बताई थी। इसे साबित करने मेडिकल रिपोर्ट अदालत में सौंपी थी। ईओडब्ल्यू ने इस मेडिकल रिपोर्ट को चैलेंज किया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सुनवाई में पाया कि ये मेडिकल रिपोर्ट फर्जी थी, इसीलिए ढेबर को जमानत देना मुनासिब नहीं है।
एम्स से भी ढेबर की जांच कराईः वकील
बिलासपुर हाईकोर्ट और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिवक्ता सौरभ पांडे के मुताबिक मेडिकल रिपोर्ट सही है या गलत इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में बहस हुई। ईओडब्ल्यू ने रायपुर एम्स से भी अनवर ढेबर की जांच कराई थी। एम्स की रिपोर्ट में ढेबर को कोई वैसी बीमारी नहीं निकली, जैसा उसने अपनी रिपोर्ट में होने का दावा किया था।
दरअसल ढेबर ने डीकेएस अस्पताल से रिपोर्ट बनवाई थी, उसमें लिखा था कि ढेबर को किडनी में समस्याएं हैं। मगर ये रिपोर्ट ही गलत पाई गई। यह तथ्य सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जमानत कैंसिल करते हुए हाईकोर्ट को ये केस भेजा है। कहा है कि मेरिट में इसकी सुनवाई करें।
ढेबर के चक्कर में गई डॉक्टर की नौकरी
अनवर ढेबर को जांच के लिए डीकेएस अस्पताल के गैस्ट्रो सर्जन डॉ. प्रवेश शुक्ला के पास लाया गया था। डॉ. प्रवेश शुक्ला ने ओपीडी पर्ची में डीकेएस में एंडोस्कोपी नहीं होता लिख दिया था। जब इस बात की जानकारी अधीक्षक और अस्पताल प्रबंधन को लगी तो उन्हें नौकरी से बर्खास्त किया गया है। 8 अगस्त 2024 को एक आदेश जारी हुआ इसमें लिखा था डॉक्टर ने विचाराधीन बंदी को आपराधिक प्रवृत्ति से बचाने के लिए जानबूझकर ओपीडी पर्ची में इस तरह की टीप लिखी।
ढेबर फिलहाल जेल में रहेंगे
शराब घोटाले का आरोपी अनवर पिछले साल से ही जेल में है। आने वाले दिनों में भी इसके बाहर आने में मुश्किल हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट में गलत मेडिकल रिपोर्ट देने के मामले के खुलासे के बाद केस और पेचीदा हो चुका है। ईडी ने सबसे पहले मई 2022 के शुरुआती सप्ताह में अनवर ढेबर को अरेस्ट किया। दावा किया कि, 2019 से 2022 तक 2000 करोड़ का अवैध धन शराब के काम से कमाया गया। इसे दुबई में अपने साथी विकास अग्रवाल के जरिए खपाया।
ईडी की ओर से ऑन रिकॉर्ड कहा गया कि, अनवर ने अपने साथ जुड़े लोगों को परसेंटेज के मुताबिक पैसे बांटे। साथ ही बाकी की बड़ी रकम अपने पॉलिटिकल मास्टर्स (राजनीतिक संरक्षकों) को दी है। इसके बाद इस केस में आबकारी विभाग के अधिकारी एपी त्रिपाठी, कारोबारी त्रिलोक ढिल्लन, नितेश पुरोहित, अरविंद सिंह को भी पकड़ गया था।