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0 श्रीहरिकोटा में 3985 करोड़ में तीसरा सैटेलाइट लॉन्च पैड बनेगा
नई दिल्ली। केंद्रीय कर्मचारियों के लिए केंद्र सरकार ने गुरुवार को आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। आयोग की सिफारिशें 2026 से लागू होंगी। यह जानकारी कैबिनेट बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव ने दी। उन्होंने कहा कि सातवां वेतन आयोग 2016 में लागू हुआ था, इसकी सिफारिशें 2026 तक जारी रहेंगी।

7वां वेतन आयोग (पे-कमीशन) 1 जनवरी, 2016 से लागू हुआ था। इससे करीब 1 करोड़ लोगों को फायदा हुआ था। वेतन आयोग हर 10 साल में लागू किया जाता है। उम्मीद है कि मोदी सरकार 1 जनवरी, 2026 से 8वां वेतन आयोग लागू कर देगी। इससे केंद्रीय कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन और पेंशन बढ़ेगी।

इसके अलावा वैष्णव ने बताया कि केंद्र सरकार आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित इंडियन स्पेश रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) के रॉकेट लॉन्चिंग सेंटर में तीसरा लॉन्च पैड बनाएगी। यह 3985 करोड़ रुपए की लागत से बनेगा। इस फैसले से न्यू जेनरेशन लॉन्च व्हीकल प्रोग्राम को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। यहां से चंद्रयान और मंगलयान जैसे ऐतिहासिक मिशन लॉन्च हुए हैं।

8वें वेतन आयोग के आने से सैलरी पर क्या फर्क पड़ेगा?
केंद्र सरकार हर 10 साल में नया वेतन आयोग लाती है। अभी 7वां वेतन आयोग चल रहा है, इसका कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 को खत्म होगा। साल 2026 से 8वां वेतन आयोग लागू हो जाएगा। 8वें वेतन आयोग का वेतन मैट्रिक्स 1.92 के फिटमेंट फैक्टर का इस्तेमाल करके तैयार किया जाएगा। इसे ऐसे समझिए- केंद्र सरकार के कर्मचारियों की सैलरी के 18 लेवल हैं। लेवल-1 कर्मचारियों की बेसिक सैलरी 1800 रुपए ग्रेड पे के साथ 18,000 रुपए है। इसे 8वें वेतन आयोग के तहत बढ़ाकर 34,560 रुपए किया जा सकता है। इसी तरह केंद्र सरकार में कैबिनेट सचिव स्तर के अधिकारियों को लेवल-18 के तहत अधिकतम 2.5 लाख रुपए की बेसिक सैलरी मिलती है। यह बढ़कर तकरीबन 4.8 लाख रुपए हो सकती है।

थर्ड लॉन्च पैड प्रोजेक्ट 4 साल में होगा तैयार
अश्विनी वैष्णव ने बताया कि थर्ड लॉन्च पैड प्रोजेक्ट (टीएलपी) के तहत इसरो का लक्ष्य है कि श्रीहरिकोटा में अगली पीढ़ी के लॉन्च वाहनों (एनजीएलवी) के लिए बुनियादी ढांचे की स्थापना की जाए। इस प्रोजेक्ट के लॉन्च के पीछे एक और कारण यह है इसरो श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड को एक स्टैंडबाय लॉन्च पैड के तौर पर रखना चाहता है। साथ ही इससे भविष्य में भारतीय ह्यूमन स्पेसफ्लाइट मिशन के लिए लॉन्च क्षमता को बढ़ाने का भी उद्देश्य है।
टीएलपी परियोजना की संरचना यूनिवर्सल और अडैप्टेबल रखी गई है, जिससे न केवल एनजीएलवी को बल्कि एलवीएम-3 व्हीकल्स के सेमी-क्रायोजेनिक स्टेज और एनजीएलवी के बड़े संस्करणों को भी सपोर्ट कर सके। थर्ड लॉन्च पैड प्रोजेक्ट को 48 महीने या 4 साल की अवधि में स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।

फर्स्ट लॉन्च पैड 30 साल पहले बनाया गया, सेकेंड लॉन्च पैड 20 साल पहले
इंडियन स्पेस ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम पूरी तरह से दो लॉन्च पैड्स पर निर्भर करती है। पहला लॉन्च पैड (एफएलपी) और दूसरा लॉन्च पैड (एसएलपी)। फर्स्ट लॉन्च पैड (एफएलपी) 30 साल पहले पीएसएलवी के लिए बनाया गया था और आज भी पीएसएलवी और एसएसएलवी को लॉन्च करने के लिए उपयोग किया जा रहा है। सेकेंड लॉन्च पैड (एसएलपी) मुख्य रूप से जीएसएलवी और एलवीएम3 के लिए बनाया गया था, लेकिन यह पीएसएलवी के लिए भी बैकअप का काम करता है।
एसएलवी पिछले 20 साल से काम कर रहा है और इसने पीएसएलवी और एलवीएम3 के कई कॉमर्शियल और नेशनल मिशनों को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है, जिनमें चंद्रयान-3 मिशन भी शामिल है। अब एसएलपी को गगनयान मिशन के लिए ह्यूमन रेटेड एलवीएम3 लॉन्च करने के लिए तैयार किया जा रहा है।