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नई दिल्ली। भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केन्द्र को आपदा प्रबंधन में उत्कृष्ट कार्य के लिए संस्थागत श्रेणी में सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार-2025 के लिए चुना गया है।
गृह मंत्रालय ने गुरुवार को यहां बताया कि केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में व्यक्तियों और संगठनों द्वारा किए गए अमूल्य योगदान और नि:स्वार्थ सेवा को मान्यता देने और उन्हें सम्मानित करने के लिए सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार के नाम से एक वार्षिक पुरस्कार की स्थापना की है। इस पुरस्कार की घोषणा हर साल 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर की जाती है। पुरस्कार के तहत संस्था के लिए 51 लाख रुपये नकद और प्रमाण पत्र तथा व्यक्ति के लिए पांच लाख रुपये और प्रमाण पत्र दिए जाते हैं।
देश ने आपदा प्रबंधन की पद्धतियों, तैयारियों, आपदा न्यूनीकरण और आपदा से निपटने के तौर-तरीकों में उल्लेखनीय सुधार किया है, जिसके परिणामस्वरूप प्राकृतिक आपदाओं के दौरान हताहत होने वालों की संख्या में काफी कमी आई है।
वर्ष 2025 के पुरस्कार के लिए एक जुलाई 2024 से नामांकन आमंत्रित किए गए थे। पुरस्कार योजना का प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार किया गया। पुरस्कार के लिए संस्थाओं और व्यक्तियों से 297 नामांकन प्राप्त हुए।
भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र की स्थापना 1999 में हैदराबाद, तेलंगाना में की गई थी। यह भारत की आपदा प्रबंधन रणनीति का अभिन्न अंग है, जो समुद्र से संबंधित खतरों के लिए शुरुआती चेतावनी देने में कुशल है। इसने भारतीय सुनामी पूर्व चेतावनी केन्द्र की स्थापना की, जो भारत और हिन्द महासागर के 28 तटीय देशों को सेवा प्रदान करते हुए 10 मिनट के भीतर सुनामी की चेतावनी देता है। इसे यूनेस्को द्वारा शीर्ष सुनामी सेवा प्रदाता के रूप में मान्यता दी गई है। भूकंपीय स्टेशनों, ज्वार, गेज और अन्य महासागर सेंसर के एक नेटवर्क की सहायता से यह ऊंची लहरों , चक्रवात और तूफान का पूर्वानुमान भी प्रदान करता है, जिससे तटीय क्षेत्रों और समुद्री संचालन की सुरक्षा में मदद मिलती है।