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0 19 मार्च तक बढ़ी न्यायिक रिमांड

रायपुर। छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित जिला खनिज निधि (डीएमएफ) घोटाला मामले में आरोपी रानू साहू, सौम्या चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी, माया वारियर और मनोज द्विवेदी को मंगलवार को एसीबी-ईओडब्ल्यू की विशेष कोर्ट में पेश किया गया, जहां कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए सभी आरोपियों की न्यायिक रिमांड 19 मार्च तक बढ़ा दी है। इसके चलते अब यह सभी आरोपी होली का त्योहार जेल में ही मनाएंगे। 

इस बीच सौम्या चौरसिया और रानू साहू ने जमानत याचिका दायर की है। कोर्ट इस याचिका पर 17 मार्च को सुनवाई करेगी। 
बता दें कि डीएमएफ घोटाले में एसीबी और ईओडब्ल्यू द्वारा जांच की जा रही है, जिसमें करोड़ों रुपये के हेरफेर का आरोप है। 

सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत के बाद भी रिहाई मुश्किल
3 मार्च सोमवार को कोल घोटाले में रानू साहू, सौम्या चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी समेत 12 लोगों को को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी थी, लेकिन जमानत मिलने से पहले ही ईओडब्ल्यू ने डीएमएफ मामले में प्रोडक्शन वारंट में तीनों को गिरफ्तार कर लिया। ऐसे में अंतरिम राहत मिलने के बाद भी तीनों की रिहाई नहीं हो पाई है।

ढाई साल बाद जेल से छूटे 6 आरोपी
अवैध कोल परिवहन केस में सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत के बाद खनिज अधिकारी शिवशंकर नाग समेत 6 आरोपी रायपुर केंद्रीय जेल से बाहर आ गए हैं। 4 मार्च देर शाम सभी को छोड़ दिया गया है। पिछले ढाई साल से नाग जेल में बंद थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई। उनके साथ रोशन सिंह, हेमंत जायसवाल, चंद्रप्रकाश जायसवाल और मोइनुद्दीन कुरैशी भी जेल से छूट गए हैं। इस मामले में निलंबित आईएएस रानू साहू, सौम्या चौरसिया और कारोबारी सूर्यकांत को अंतरिम राहत मिली है, लेकिन तीनों को ईओडब्ल्यू ने गिरफ्तार डीएमएफ मामले में गिरफ्तार किया है। ऐसे में उनकी मुश्किलें कम नहीं हुई है।

क्या है डीएमएफ घोटाला
प्रदेश सरकार की ओर से जारी की गई जानकारी के मुताबिक ईडी की रिपोर्ट के आधार पर ईओडब्ल्यू ने धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज किया है। केस में यह तथ्य सामने आया है कि डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया है। टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया। जांच रिपोर्ट में यह पाया गया है कि टेंडर की राशि का 40% सरकारी अफसर को कमीशन के रूप में दिया गया है। प्राइवेट कंपनियों के टेंडर पर 15 से 20% अलग-अलग कमीशन सरकारी अधिकारियों ने ली है। ईडी ने अपनी जांच रिपोर्ट में पाया था कि आईएएस अफसर रानू साहू और कुछ अन्य अधिकारियों ने अपने-अपने पद का गलत इस्तेमाल किया।