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0 महंत बोले-पिछली सरकार का घोटाला मानकर जांच कराइए
0 सीएम बोले-कांग्रेस ने तो सीबीआई को बैन किया था
रायपुर। विधानसभा बजट सत्र में बुधवार को प्रश्नकाल के दौरान रायपुर-विशाखापट्टनम भारत माला परियोजना में भ्रष्टाचार को लेकर सदन में जमकर हंगामा हुआ। इस दौरान विभागीय मंत्री टंकराम वर्मा ने भ्रष्टाचार होने की बात स्वीकार की। उन्होंने हंगामे के बीच संभागीय आयुक्त से जांच कराने की घोषणा की, लेकिन विपक्ष सीबीआई जांच की मांग पर अड़ा रहा। हंगामे के बीच राजस्व मंत्री ने सीबीआई जांच से इंकार कर दिया। इसके बाद कांग्रेस सदस्यों ने सदन से वॉकआउट कर दिया। 

प्रश्नकाल में नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने भारतमाला परियोजना में मुआवजा राशि घोटाले का मामला उठाया। डॉ. महंत ने जोर देकर कहा कि इस परियोजना में करीब 350 करोड़ का घोटाला हुआ है। उन्होंने बताया कि 13 खातेदारों के खसरे के 54 टुकड़ों में बांटा गया। अभनपुर के 4 मुआवजा प्रकरण में 43.19 करोड़ आर्थिक नुकसान केंद्र सरकार को हुआ है। यह सरकार ने भी अपने जवाब में माना है। केंद्र के इस पैसे में राज्य का भी हिस्सा हो सकता है। यह तो चार गांव का मामला है। इसके जरिए करीब 350 करोड़ का अतिरिक्त भुगतान किया गया है। इस घोटाले में दो अधिकारी निलंबित किए गए हैं। इसमें कई बड़े अफसर व राजनीतिक दलों के नेता शामिल हो सकते हैं, इसलिए सीबीआई से जांच करा लें। यह बहुत बड़ा मामला है। वैसे यहां ईडी, सीबीआई की कई जांचें चल रही हैं। 
इस पर राजस्व मंत्री श्री वर्मा ने माना कि परियोजना में चार स्तरों पर गड़बड़ी हुई है और कमिश्नर की टीम शिकायतों की जांच कर रही है। मंत्री के जवाब से नेता प्रतिपक्ष संतुष्ट नहीं हुए और कहा कि कमिश्नर के नीचे के आईएएस अफसर भी इस घोटाले में संलिप्त हैं और यह गड़बड़ी पिछली सरकार के समय हुई है तो सरकार को सीबीआई जांच में दिक्कत नहीं होनी चाहिए। 

इस दौरान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत की मांग पर कहा कि कांग्रेस की सरकार ने तो सीबीआई को बैन किया था। वहीं बीजेपी विधायक रिकेश सेन ने कहा कि कांग्रेस को अब केंद्रीय एजेंसियों पर भरोसा कैसे हो गया, जो लोग सीबीआई को बैन करते हैं और ईडी पर सवाल उठाते हैं, वे अब खुद जांच की मांग कर रहे हैं।

भारत माला परियोजना में गड़बड़ी हुईः राजस्व मंत्री 
विधानसभा में चर्चा के दौरान राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने स्वीकार किया कि भारतमाला परियोजना में अनियमितताएं हुई हैं। उन्होंने कहा कि अधिसूचना जारी होने के बाद रकबे के टुकड़े कर दिए गए। पहले से अधिकृत भूमि का दोबारा भू-अर्जन किया गया। मंत्री श्री वर्मा ने स्वीकार किया कि मुआवजा घोटाला में एक नहीं कई तरह की गड़बड़ियां हुई हैं। इनमें दो-तीन तरह की गड़बड़ियां सामने आई हैं। पहली परियोजना की अधिसूचना जारी होने के बाद भू अधिग्रहण के बाद रकबे के टुकड़े किए गए हैं। जमीन का मुआवजा मालिक के बजाय किसी अन्य को दे दिया गया। ट्रस्ट की जमीन का मुआवजा ट्रस्ट को ना देकर किसी व्यक्ति को दे दिया गया। अभी की शिकायतें आ ही रही हैं, सभी की जांच चल रही है। राजस्व मंत्री ने बताया कि इस मामले में अब तक अपर कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार व पटवारी निलंबित किए गए हैं। ऐसी ही गड़बड़ियां सामने आने के बाद प्रदेश कैबिनेट ने राजस्व संहिता में संशोधन किया है। अब किसी परियोजना के प्रकाशन के बाद नामांतरण जैसे संशोधन उस क्षेत्र की जमीन में नहीं हो सकेगा। 

आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जेल भेजें 
नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने राजस्व मंत्री के जवाब पर असंतोष जताया। उन्होंने कहा कि सिर्फ विभागीय जांच से दोषियों को बचने का मौका मिल जाएगा। यह एक बड़ा घोटाला है, जिसमें कई प्रभावशाली लोग शामिल हो सकते हैं। दोनों राजनीतिक दलों के लोग भी इसमें मिले हो सकते हैं। डॉ. महंत ने कहा कि सिर्फ निलंबन से कुछ नहीं होगा, बल्कि दोषी अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कर उन्हें जेल भेजना चाहिए, क्योंकि यह प्रकरण छोटा नहीं है। आने वाले दिनों में लोग सतर्क होंगे और बटांकन का खेल बंद होगा। निलंबन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिससे दोषी कुछ समय बाद फिर बहाल हो जाते हैं और उसी तरह से काम करते हैं।
इस पर राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने कहा कि जैसे-जैसे शिकायतें मिल रही है, कार्रवाई कर रहे हैं। आने वाले दिनों में और सूक्ष्मता से जांच कर कार्रवाई करेंगे। इस पर डॉ. महंत ने कहा कि एफआईआर करने में दिक्कत क्या है। सभी जानते हैं, यह जाल है, इसे मायाजाल कहें या अफसरों का बिछाया जाल। विभागीय जांच का जाल काटकर ये सभी फिर काम करने लगेंगे। इस परियोजना में डबल इंजन की सरकार का पैसा लगा है। सीबीआई जांच कराने में क्या दिक्कत है। 

जांच में कोताही नहीं बरती जाएगीः साय
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सीबीआई जांच की मांग पर विपक्ष को घेरा और कहा कि राजस्व मंत्री ने अच्छे से जवाब दिया है। अगर जांच में कोई शिकायत होगी तो हमें बताइएगा। इसमें कोई कोताही नहीं बरती जाएगी, लेकिन कांग्रेस सरकार ने ही सीबीआई को प्रदेश में बैन कर दिया था। अब वही कांग्रेस सीबीआई जांच की मांग कर रही है।

विधायकों की समिति से जांच की मांग
वहीं नेता प्रतिपक्ष ने विपक्ष के विधायकों की समिति बनाकर जांच कराने की मांग की, लेकिन राजस्व मंत्री ने इसे खारिज कर दिया। मंत्री श्री वर्मा ने कहा कि इस पूरे मामले की संभागीय आयुक्त से जांच कराई जाएगी और किसी भी दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। इस पर नेता प्रतिपक्ष डॉ. महंत ने सदन में मौजूद सीएम साय से मांग की कि आप संज्ञान में लेकर स्वयं सीबीआई जांच की घोषणा कर दें। इस पर मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि राजस्व मंत्री ने सवाल का बहुत ही अच्छे तरीके से जवाब दे दिया है और कांग्रेस ने अपने कार्यकाल में तो छत्तीसगढ़ में सीबीआई की एंट्री ही बैन कर दी थी। इस पर डॉ. महंत ने कहा कि आप लोगों ने सीबीआई को खोल दिया है। अब जांच करा लें। हम संभागीय आयुक्त से जांच नहीं चाहते। सरकार सुन नहीं रही। सीबीआई नहीं तो आ ही विधायकों की समिति से जांच की घोषणा कर दें। इस पर स्पीकर डॉ. सिंह ने सीएम साय व राजस्व मंत्री की ओर देखकर पूछा कि क्या आप सहमत हैंय़ इस पर राजस्व मंत्री ने कहा कि कमिश्नर से जांच ही पर्याप्त है। इस बीच कांग्रेस विधायक दलेश्वर साहू ने कहा कि इस परियोजना में राजनांदगांव में डायवर्सन कर करोड़ों रुपए का घोटाला किया है। इस पूरे मामले में मात्र एक पटवारी को ही सस्पेंड किया गया है। इस पर नेता प्रतिपक्ष डॉ. महंत ने कहा कि मंत्री के जवाब से हम पूरी तरह असंतुष्ट हैं। वे चाहते थे कि इसकी जांच की घोषणा सदन में हो, लेकिन उन्हें जवाब नहीं मिला, जिसकी वजह से मजबूरी में हाईकोर्ट जाना पड़ेगा। इस पर स्पीकर डॉ. सिंह ने कहा कि विधायक समिति का गठन शासन की सहमति से होता है। इसे आप भी जानते हैं। इस पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आप भी निराश करेंगे, यह उम्मीद नहीं थी। मुझे मजबूरी में हाईकोर्ट जाना होगा। इस पर स्पीकर डॉ. सिंह ने कहा कि आपको रोका नहीं गया है। आज जा सकते हैं। इससे नाराज विपक्षी सदस्यों ने नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में सदन से वॉकआउट कर दिया।