
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महुआ के फूलों के व्यावसायिक इस्तेमाल और इनमें महिलाओं की भागीदारी की रोचक कहानी सुनते हुए गुजरात के कृष्ण कमल को खिलने को मिल रहे नये प्रयासों की भी सराहना की है।
श्री मोदी ने रेडियो पर प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम 'मन की बात' की 120वीं कड़ी में रविवार को कहा ‘मन की बात’ में एक चटपटा और अटपटा सा सवाल है। आपने कभी फूलों की यात्रा के बारे में सोचा है। पेड़ पौधों से निकले कुछ फूलों की यात्रा मंदिरों तक होती है। कुछ फूल घर को सुंदर बनाते हैं, कुछ इत्र में घुलकर हर तरफ खुशबू फैलाते हैं। लेकिन आज मैं आपको फूलों की एक और यात्रा के बारे में बताऊंगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, “आपने महुआ के फूलों के बारे में जरूर सुना होगा। हमारे गांवों और खासकर के आदिवासी समुदाय के लोग इसके महत्व के बारे में अच्छी तरह जानते हैं। देश के कई हिस्सों में महुआ के फूलों की यात्रा अब एक नए रास्ते पर निकल पड़ी है। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में महुआ के फूल से कुकीज बनाए जा रहे हैं। राजाखोह गांव की चार बहनों के प्रयास से ये कुकीज़ बहुत लोकप्रिय हो रहे हैं। इन महिलाओं का जज्बा देखकर एक बड़ी कंपनी ने इन्हें फैक्ट्री में काम करने की ट्रेनिंग दी। इनसे प्रेरित होकर गांव की कई महिलायें इनके साथ जुड़ गई हैं। इनके बनाए महुआ कुकीज़ की मांग तेजी से बढ़ रही है। तेलंगाना के आदिलाबाद जिले में भी दो बहनों ने महुआ के फूलों से नया प्रयोग किया है। वो इनसे तरह-तरह के पकवान बनाती हैं, जिन्हें लोग बहुत पसंद करते हैं। उनके पकवानों में आदिवासी संस्कृति की मिठास भी है।”
उन्होंने कहा, “मैं आपको एक और शानदार फूल के बारे में बताना चाहता हूं और इसका नाम है ‘कृष्ण कमल’। क्या आप गुजरात के एकता नगर में 'स्टेचू ऑफ यूनिटी को देखने गए हैं। स्टेचू ऑफ यूनिटी के आसपास आपको ये कृष्ण कमल बड़ी संख्या में दिखेंगें। ये फूल पर्यटकों का मन मोह लेते हैं। ये कृष्ण कमल एकता नगर के आरोग्य वन, एकता नर्सरी, विश्व वन और मियावाकि वन में आकर्षण का केंद्र बन चुके हैं। यहां योजनाबद्ध तरीके से लाखों की संख्या में कृष्ण कमल के पौधे लगाए गए हैं। आप भी अपने आसपास देखेंगे तो आपको फूलों की दिलचस्प यात्राएं दिखेंगी। आप अपने क्षेत्र में फूलों की ऐसी अनोखी यात्रा के बारे में मुझे भी लिखिएगा।”