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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के 10 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर मंगलवार को यहां अपने निवास पर इसके लाभार्थियों से बात की और कहा कि इस योजना ने उद्यमशीलता के बारे में सामाजिक बदलाव के साथ एक मौन क्रांति ला दी है।
श्री मोदी ने प्रतिभागियों को अपने अनुभव साझा करने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने पालतू पशुओं की आपूर्ति, दवाओं और सेवाओं के उद्यमी बने एक लाभार्थी से बातचीत करते हुए, चुनौतीपूर्ण समय के दौरान किसी की क्षमता पर विश्वास करने वालों के प्रति आभार व्यक्त करने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने लाभार्थी से ऋण स्वीकृत करने वाले बैंक अधिकारियों को आमंत्रित करने और ऋण से हुई प्रगति को प्रदर्शित करने के लिए कहा।
इस मौके पर वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी भी उपस्थित थे।
श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह की गतिविधियों से न केवल उनके विश्वास को मान्यता मिलेगी बल्कि बड़े सपने देखने की हिम्मत रखने वाले व्यक्तियों का समर्थन करने के उनके निर्णय में आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। उनके समर्थन के परिणामों को प्रदर्शित करने से निस्संदेह उन्हें विकास और सफलता को बढ़ावा देने में अपने योगदान पर गर्व महसूस होगा।
प्रधानमंत्री ने नागरिकों, विशेषकर महिलाओं को सशक्त बनाने और पूरे भारत में उद्यमिता को बढ़ावा देने पर मुद्रा योजना के परिवर्तनकारी प्रभाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे इस योजना ने हाशिए पर पड़े और आर्थिक रूप से वंचित पृष्ठभूमि के व्यक्तियों को वित्तीय सहायता प्रदान की है, जिससे उन्हें बिना किसी गारंटी या व्यापक कागजी कार्रवाई के अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने में सक्षम बनाया गया है।
श्री मोदी ने उद्यमिता के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण बदलाव को देखते हुए मुद्रा योजना द्वारा लाई गई मौन क्रांति का भी उल्‍लेख किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस योजना ने न केवल वित्तीय सहायता प्रदान करके महिलाओं को सशक्त बनाया है, बल्कि उनके लिए अपने व्यवसायों का नेतृत्व करने और उन्हें आगे बढ़ाने के अवसर भी पैदा किए हैं। उन्होंने बताया कि इस योजना के सबसे अधिक लाभार्थियों में महिलाएं हैं, जो ऋण आवेदनों, अनुमोदनों और तेजी से पुनर्भुगतान में अग्रणी हैं।
उन्होंने कहा कि यह योजना धन के दुरुपयोग या नाकाम प्रयासों को हतोत्साहित करते हुए जीवन और करियर बनाने का अवसर प्रदान करती है। मुद्रा योजना के तहत भारत के नागरिकों को बिना किसी गारंटी के 33 लाख करोड़ रुपए वितरित किए गए हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह राशि अभूतपूर्व है और सामूहिक रूप से धनी व्यक्तियों को दी गई किसी भी वित्तीय सहायता से कहीं अधिक है। उन्होंने देश के प्रतिभाशाली युवाओं पर अपना भरोसा जताया जिन्होंने रोजगार पैदा करने और अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए धन का प्रभावी ढंग से उपयोग किया है।
श्री मोदी ने कहा कि मुद्रा योजना के माध्यम से रोजगार सृजन ने आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आम नागरिकों की आय में वृद्धि हुई है, जिससे वे अपने जीवन स्तर को बेहतर बना सकते हैं और अपने बच्चों की शिक्षा में निवेश कर सकते हैं। सरकार की प्रतिबद्धता के बारे में उन्होंने कहा कि पारंपरिक तरीकों के विपरीत, उनका प्रशासन योजना के कार्यान्वयन के 10 वर्षों के बाद सक्रिय रूप से फीडबैक मांग रहा है। उन्होंने देश भर में लाभार्थियों और समूहों से परामर्श करके योजना की प्रगति की समीक्षा करने, सुधार के अवसरों की पहचान करने और आगे की सफलता के लिए आवश्यक सुधारों को लागू करने के महत्व पर बल दिया।
मुद्रा ऋण का दायरा बढ़ाने में सरकार द्वारा प्रदर्शित उल्लेखनीय विश्वास पर श्री मोदी ने कहा कि प्रारंभ में 50,000 रुपए से लेकर 5 लाख रुपए तक के ऋण का दायरा बढ़ाकर अब 20 लाख रुपए कर दिया गया है। यह विस्तार भारत के नागरिकों की उद्यमशीलता की भावना और क्षमताओं में व्यक्त विश्वास को दर्शाता है, जो योजना के सफल कार्यान्वयन से और मजबूत हुआ है। मुद्रा योजना का लाभ उठाने और अपना खुद का उद्यम शुरू करने के लिए दूसरों को प्रोत्साहित करने के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने लोगों से कम से कम पांच से दस अन्य लोगों को प्रेरित करने और उनका समर्थन करने, उनमें आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत 52 करोड़ ऋण वितरित किए गए हैं, जो विश्व स्तर पर एक अद्वितीय उपलब्धि है।
श्री मोदी ने मुद्रा योजना में अपने विश्वास को दोहराया और कहा कि यह लोगों की आकांक्षाओं और परिस्थितियों का अध्ययन करने और उनके समाधान का एक साधन है। उन्होंने योजना की सफलता पर विश्वास व्यक्त किया और समुदाय में योगदान देने से मिलने वाली संतुष्टि का उल्‍लेख करते हुए लाभार्थियों से समाज को कुछ देने का आग्रह किया।
प्रधानमंत्री ने इस योजना के 10 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर एक्‍स पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा “ आज जब हम मुद्रा योजना के 10 वर्ष पूर्ण होने पर काम कर रहे हैं, मैं उन सभी को बधाई देना चाहता हूं, जिनके जीवन में इस योजना के कारण परिवर्तन आया है। इस दशक में, मुद्रा योजना ने कई सपनों को यथार्थ में बदला है, जिनकी पहले वित्तीय सहायता के माध्‍यम से आगे बढ़ने में उपेक्षा की जाती थी, ऐसे लोगों को आर्थिक सहायता के माध्‍यम से सशक्त बनाया है। यह दर्शाता है कि भारत के लोगों के लिए कुछ भी असंभव नहीं है। यह विशेष रूप से उत्साहजनक है कि मुद्रा लाभार्थियों में से आधे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग समुदायों से हैं और 70 प्रतिशत से अधिक लाभार्थी महिलाएं हैं। प्रत्येक मुद्रा ऋण अपने साथ सम्मान, आत्म-सम्मान और अवसर लेकर आता है। वित्तीय समावेशन के अलावा, इस योजना ने सामाजिक समावेशन और आर्थिक स्वतंत्रता भी सुनिश्चित की है। आने वाले समय में, हमारी सरकार एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेगी, जहां हर महत्वाकांक्षी उद्यमी की ऋण तक पहुंच हो, जिससे उसमें आत्मविश्वास और आगे बढ़ने का अवसर मिले।”
लाभार्थियों से चर्चा के दौरान केरल के एक उद्यमी श्री गोपी कृष्ण से बात करते हुए प्रधानमंत्री ने मुद्रा योजना के परिवर्तनकारी प्रभाव का उल्‍लेख किया। उन्‍होंने कहा कि इसी योजना ने उन्हें एक सफल उद्यमी बनने में सक्षम बनाया और घरों तथा कार्यालयों के लिए अक्षय ऊर्जा समाधानों पर ध्यान केंद्रित करते हुए रोजगार के अवसर पैदा किए। प्रधानमंत्री ने मुद्रा ऋण के बारे में जानने के बाद दुबई में अपनी कंपनी से इस्तीफा देने का फैसला करने वाले लाभार्थी का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि पीएम सूर्य घर पहल के तहत सौर ऊर्जा की स्थापना, दो दिनों के भीतर पूरी हो गई। उन्होंने पीएम सूर्य घर पहल के लाभार्थियों की प्रतिक्रियाओं के बारे में भी सुना। उन्होंने कहा कि केरल में अब भारी वर्षा और घने पेड़ों जैसी चुनौतियों के बावजूद घरों में मुफ्त बिजली मिल रही है। श्री कृष्ण ने कहा कि बिजली का बिल, जो पहले लगभग 3,000 रुपए था, अब घटकर 240-250 रुपए हो गया है, जबकि उनकी मासिक आय 2.5 लाख रुपए और उससे अधिक हो गई है।
प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ के रायपुर की एक महिला उद्यमी और ‘हाउस ऑफ पुचका’ की संस्थापक से बातचीत की। महिला उद्यमी ने घर पर खाना बनाने से लेकर एक सफल कैफे व्यवसाय स्थापित करने तक की अपनी प्रेरक यात्रा साझा की। उन्होंने कहा कि लाभ मार्जिन और खाद्य लागत प्रबंधन में शोध ने इस उद्यमशीलता की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने आगे कहा कि युवाओं के मन में डर है और कई लोग जोखिम लेने के बजाय नौकरी करना पसंद करते हैं। इसके जवाब में प्रधानमंत्री ने जोखिम लेने की क्षमता के महत्व पर प्रकाश डाला और बताया कि हाउस ऑफ पुचका की संस्थापक ने 23 साल की उम्र में अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए जोखिम लेने की अपनी क्षमता और अपने समय का प्रभावी ढंग से उपयोग किया। लाभार्थी ने रायपुर के दोस्तों, कॉर्पोरेट जगत और छात्रों के बीच चर्चाओं पर टिप्पणी की जिसमें उद्यमिता के बारे में उनकी जिज्ञासा और सवालों को जाना। उन्होंने युवाओं में सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता की कमी के बारे में भी बात की और कहा कि ये योजनाएं बिना किसी गारंटी के धन मुहैया कराती हैं। उन्होंने आभार व्यक्त किया कि मुद्रा ऋण और पीएमईजीपी ऋण जैसी योजनाएं क्षमतावान लोगों के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती हैं। उन्होंने युवाओं को इन योजनाओं पर शोध करने और साहसिक कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित करते हुये कहा कि जो लोग आगे बढ़ना और सफल होना चाहते हैं, उनके लिए कोई सीमा नहीं है।
एक अन्य लाभार्थी और कश्मीर के बारामूला में ‘बेक माई केक’ के मालिक मुदस्सिर नक्शबंदी ने नौकरी चाहने वाले से नौकरी देने वाले बनने की अपनी सफलता की कहानी साझा की। उन्होंने बारामूला के दूरदराज के इलाकों के 42 व्यक्तियों को रोजगार प्रदान किया है। प्रधानमंत्री ने मुद्रा ऋण प्राप्त करने से पहले उनकी आय के बारे में पूछा, जिस पर मुदस्सिर ने जवाब दिया कि उनकी आय हजारों में थी लेकिन उनकी उद्यमशीलता की यात्रा ने अब उन्हें लाखों और करोड़ों में पहुंचा दिया है। प्रधानमंत्री ने मुदस्सिर के व्यवसाय संचालन में यूपीआई के व्यापक उपयोग को स्वीकार किया। उन्होंने मुदस्सिर के विचार पर ध्यान दिया कि 90 प्रतिशत लेन-देन यूपीआई के माध्यम से किए जाते हैं जिससे हाथ में केवल 10 प्रतिशत नकद बचता है।
इसके बाद प्रधानमंत्री ने श्री सुरेश की प्रेरक कहानी सुनी, जिन्होंने वापी में नौकरी से सिलवासा में एक सफल उद्यमी बनने तक का सफर तय किया। सुरेश ने कहा कि 2022 में उन्हें एहसास हुआ कि सिर्फ़ नौकरी ही काफी नहीं है और उन्होंने अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि उनकी सफलता के साथ, कुछ दोस्त अब अपना खुद का उद्यम शुरू करने के लिए मुद्रा ऋण के लिए आवेदन करने पर विचार कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि ऐसी सफलता की कहानियों का दूसरों को उद्यमिता की ओर साहसिक कदम उठाने के लिए प्रेरित करने में प्रभाव पड़ता है।
रायबरेली की एक महिला उद्यमी ने प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एमएसएमई को दी गई सहायता के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि लाइसेंस और फंडिंग आसानी से उपलब्‍ध हो जाती है जबकि यह पहले काफी चुनौतीपूर्ण थी। इसी से प्रेरित होकर उन्‍होंने विकसित भारत के निर्माण में योगदान देने का संकल्प लिया। प्रधानमंत्री ने 2.5 से 3 लाख रुपए के मासिक कारोबार के साथ बेकरी व्यवसाय चलाने में उनकी सफलता का उल्लेख किया जिससे सात से आठ व्यक्तियों को रोजगार मिला।
मध्य प्रदेश के भोपाल के श्री लवकुश मेहरा ने 2021 में 5 लाख रुपए के शुरुआती ऋण के साथ अपना दवा व्यवसाय शुरू किया। शुरुआती आशंकाओं के बावजूद, उन्होंने अपने ऋण को 9.5 लाख रुपए तक बढ़ाया और पहले वर्ष के 12 लाख रुपए से बढ़कर 50 लाख रुपए से अधिक का कारोबार हासिल किया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि मुद्रा योजना किसी खास समूह तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य युवाओं को अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए सशक्त बनाना है। उन्होंने 34 लाख रुपए का घर खरीदना और हर महीने 1.5 लाख रुपए से अधिक की कमाई सहित लवकुश की हालिया उपलब्धियों का उल्‍लेख किया जबकि उनकी पिछली नौकरी से उन्‍हें 60,000 से 70,000 रुपए तक की ही कमाई होती थी। उन्होंने लाभार्थियों से मुद्रा ऋण और इसके लाभों के बारे में लोगों को बताने का भी आग्रह किया।
प्रधानमंत्री ने गुजरात के भावनगर के एक युवा उद्यमी की प्रेरक यात्रा के बारे में सुना जिन्होंने 21 साल की उम्र में आदित्य लैब की स्थापना की। यह उद्यमी मेक्ट्रोनिक्स के अंतिम वर्ष का छात्र है जिन्‍होंने 3डी प्रिंटिंग, रिवर्स इंजीनियरिंग, रैपिड प्रोटोटाइपिंग और रोबोटिक्स में व्यवसाय शुरू करने के लिए किशोर श्रेणी के तहत 2 लाख रुपए के मुद्रा ऋण का सफलतापूर्वक उपयोग किया। प्रधानमंत्री ने उद्यमी के समर्पण की सराहना की जो सप्ताह के दिनों में कॉलेज और सप्ताहांत में व्यवसाय संचालन के बीच संतुलन बनाकर परिवार के समर्थन से दूर से काम करते हुए 30,000 से 35,000 रुपए मासिक कमाता है।
मनाली की एक महिला उद्यमी ने सब्जी मंडी में काम करने से लेकर सफल व्यवसाय चलाने तक की अपनी कहानी साझा की। उन्होंने बताया कि उन्होंने 2015-16 में 2.5 लाख रुपए के मुद्रा लोन से शुरुआत की थी, जिसे उन्होंने ढाई साल में चुका दिया। इसके बाद 5 लाख रुपए, 10 लाख रुपए और 15 लाख रुपए के लोन के साथ उन्होंने अपना व्यवसाय सब्जी की दुकान से राशन की दुकान तक बढ़ाया और 10 से 15 लाख रुपए की वार्षिक आय हासिल की। ​​
प्रधानमंत्री ने आंध्र प्रदेश की एक महिला उद्यमी की प्रेरक यात्रा के बारे में भी सुना, जो एक गृहिणी से जूट के बैग का सफल व्यवसाय चलाने लगी। उन्होंने बताया कि 2019 में ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उन्होंने बिना किसी जमानत के केनरा बैंक से 2 लाख रुपए का मुद्रा ऋण प्राप्त किया। प्रधानमंत्री ने उनके दृढ़ संकल्प और उनकी क्षमता में बैंक के भरोसे का उल्‍लेख किया। उन्होंने जूट संकाय सदस्य और उद्यमी के रूप में उनकी दोहरी भूमिका को स्वीकार किया तथा रोजगार एवं कौशल विकास के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने में उनके प्रयासों की सराहना की।