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0 पासपोर्ट करना होगा जमा, जमानत के बाद भी जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे

नई दिल्ली/रायपुर। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा को जमानत दे दी है। ये जमानत छत्तीसगढ़ के कथित 2000 करोड़ के शराब घोटाला मामले में मिली है। हालांकि पासपोर्ट जमा कराने समेत कुछ शर्तें भी रखी गई हैं।

मंगलवार को जमानत आवेदन पर सुनवाई जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बैंच में हुई। हालांकि, अनिल टुटेजा को ईडी के केस में राहत मिली है लेकिन शराब घोटाले मामले में ईओडब्ल्यू की जांच कर रही है। इस केस में वो जेल में बंद हैं, ऐसे में वे जमानत के बाद भी जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे। 

सुप्रीम कोर्ट को बताया गया किछत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 2 अप्रैल 2025 को विशेष अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया था जिसमें टुटेजा के खिलाफ आरोप तय किए गए थे। हाई कोर्ट ने कहा था कि आरोप तय करने से पहले सरकार से अनुमति (सीआरपीसी की धारा 197 के तहत) नहीं ली गई थी। धारा 197 के अनुसार, यदि कोई सरकारी अफसर अपने कार्य के दौरान किसी अपराध का आरोपी है, तो कोर्ट में मुकदमा चलाने के लिए पहले सरकार से मंजूरी लेना जरूरी होता है।

सेंथिल बालाजी केस का हवाला दिया
पीठ ने कहा कि इस मामले में अधिकतम 7 साल की कैद की सजा हो सकती है। इसलिए सेंथिल बालाजी फैसले का सिद्धांत इस केस में भी लागू होगा। इसके अलावा, इसी तरह की स्थिति में, सुप्रीम कोर्ट ने 12 फरवरी, 2025 के आदेश में सह-आरोपी अरुणपति त्रिपाठी को भी जमानत दे दी है।

जमानत की शर्तें और प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को आदेश दिया कि टुटेजा को जमानत की प्रक्रिया के लिए संबंधित कोर्ट में पेश किया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि विशेष न्यायाधीश की अदालत अभी खाली है। इसके अलावा शर्तों में, पासपोर्ट सरेंडर करना और अदालत में सुनवाई के दौरान पूरा सहयोग करना शामिल है।

ईडी के वकील ने जमानत में विरोध में दिया ये तर्क
ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि, अनिल टुटेजा एक वरिष्ठ अधिकारी रहे हैं। जो बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। उन्होंने कोर्ट में टुटेजा पर नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले में भी शामिल होने का आरोप लगाया और कहा कि वे गवाहों को प्रभावित करने और साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने के लिए सक्षम हैं।

क्या है शराब घोटाला
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ईडी जांच कर रही है। ईडी ने एसीबी में एफआईआर दर्ज कराई है। दर्ज एफआईआर में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। ईडी ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में आईएएस अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था।