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0 रायपुर में 6 से ज्यादा अफसरों ने दी दबिश
03 दिन पहले सुप्रीम कोर्ट से मिली थी बेल

रायपुर। छत्तीसगढ़ शराब घोटाले केस में जेल बंद रिटायर्ड आईएएस अनिल टुटेजा के रायपुर स्थिति घर पर सीबीआई ने छापा मारा है। बताया जा रहा है एजेंसी 2000 करोड़ के शराब घोटाले की जांच कर रही है। टीम में 6 से ज्यादा अधिकारी शामिल हैं। हालांकि कार्रवाई की आधिकारिक पुष्टि नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अनिल टुटेजा को जमानत दी है। ये जमानत छत्तीसगढ़ के शराब घोटाला मामले में मिली है। हालांकि, पासपोर्ट जमा कराने समेत कुछ शर्तें भी रखी गई हैं। मंगलवार को जमानत आवेदन पर सुनवाई जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बैंच में हुई। हालांकि, अनिल टुटेजा को ईडी के केस में राहत मिली है। अभी इसी केस पर ईओडब्ल्यू जांच कर रही है। ऐसे में टुटेजा जमानत के बाद भी जेल से बाहर नहीं आ पाए। वह पिछले एक साल से जेल में बंद हैं।

सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि, छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 2 अप्रैल 2025 को विशेष अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें टुटेजा के खिलाफ आरोप तय किए गए थे। हाईकोर्ट ने कहा था कि आरोप तय करने से पहले सरकार से अनुमति (सीआरपीसी की धारा 197 के तहत) नहीं ली गई थी। धारा 197 के अनुसार, यदि कोई सरकारी अफसर अपने कार्य के दौरान किसी अपराध का आरोपी है, तो कोर्ट में मुकदमा चलाने के लिए पहले सरकार से मंजूरी लेना जरूरी होता है।

जमानत की शर्तें और प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को आदेश दिया कि टुटेजा को जमानत की प्रक्रिया के लिए संबंधित कोर्ट में पेश किया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि विशेष न्यायाधीश की अदालत अभी खाली है। इसके अलावा शर्तों में, पासपोर्ट सरेंडर करना और अदालत में सुनवाई के दौरान पूरा सहयोग करना शामिल है।

ईडी के वकील ने जमानत में विरोध में दिया ये तर्क
ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि, अनिल टुटेजा एक वरिष्ठ अधिकारी रहे हैं। जो बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। उन्होंने कोर्ट में टुटेजा पर नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले में भी शामिल होने का आरोप लगाया और कहा कि वे गवाहों को प्रभावित करने और साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने के लिए सक्षम हैं।

क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ईडी जांच कर रही है। ईडी ने एसीबी में एफआईआर दर्ज कराई है। दर्ज एफआईआर में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। ईडी ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में आईएएस अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था।

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