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0 कैश-ज्वेलरी, जमीनों के दस्तावेज मिले
रायपुर। भारत माला प्रोजेक्ट गड़बड़ी मामले में एसीबी-ईओडब्ल्यू ने एसडीएम, तहसीलदार, पटवारी और राजस्व निरीक्षक समेत राजस्व विभाग के 18 अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी की है। रायपुर में तात्कालिक एसडीएम निर्भय साहू और तहसीलदार शशिकांत कुर्रे के घर पर दस्तावेजों की जांच की। छापे मारे गए सभी ठिकाने भू-राजस्व से जुड़े अधिकारी-कर्मचारी व जमीन दलाल हैं। यह रेड रायपुर, दुर्ग-भिलाई, आरंग समेत अन्य जगह पर चल रही है। 

रायपुर के ही सेजबहार कॉलोनी स्थित राजस्व विभाग के अधिकारी के घर भी सुबह 6 बजे से जांच की जा रही है। अधिकारियों को ज्वेलरी, कैश और जमीनों के दस्तावेज मिले हैं। बहरहाल जांच चल रही है। इसके बाद ही टीम पूरी जानकारी देगी। वहीं बिलासपुर में अतिरिक्त तहसीलदार लखेश्वर राम के घर 6 से अधिक अफसरों ने दबिश दी। इस दौरान परिजन जांच का विरोध करते रहे।  
ज्यादातर छापे रायपुर समेत अभनपुर, आरंग और दुर्ग भिलाई के अधिकारियों समेत भूमाफियाओं और दलालों के घर मारे गए गए हैं। जिन दलालों व सरकारी कर्मचारी के परिजन राजस्व विभाग में हैं या जिन अधिकारियों की पत्नी दलालों के साथ किसी फर्म में पार्टनर हैं, उनके यहां भी छापामार कार्रवाई हुई है। इस मामले में करीब आधा दर्जन लोगों को गिरफ्तार करने की भी खबरे हैं। 
बता दें कि इस मामले में राज्य शासन ने तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू, तहसीलदार शशिकांत कुर्रे, नायब तहसीलदार लखेश्वर प्रसाद किरण, पटवारी जितेंद्र साहू, दिनेश पटेल और लेखराम देवांगन को निलंबित किया है। 

18 जगहों पर इन लोगों पर दबिश
जिला रायपुर, महासमुंद, दुर्ग एवं बिलासपुर में 18 से अधिक स्थानों पर रेड मारी गई। कार्रवाई में निर्भय कुमार साहू, जितेन्द्र कुमार साहू, दिनेश पटेल, योगेश कुमार देवांगन, शशिकांत कुर्रे, लेखराम देवांगन, लखेश्वर प्रसाद किरण, बसंती धृतलहरे, रोशन लाल वर्मा, हरमीत सिंह खनूजा, उमा तिवारी, विजय जैन, दशमेश इन्ट्रावेंचर प्रा. लि., हृदय लाल गिलहरे एवं विनय कुमार गांधी शामिल हैं।

महंत ने पीएमओ से की थी शिकायत
इससे पहले भारतमाला प्रोजेक्ट में सामने आए कथित मुआवजा घोटाले को लेकर नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को चिट्ठी भेजकर शिकायत की थी। पीएमओ ने महंत की शिकायत पर संज्ञान लिया। खुद डॉ. महंत ने इसकी पुष्टि की थी। उन्होंने कहा कि मुझे प्रधानमंत्री कार्यालय से पत्र प्राप्त हुआ है। उम्मीद है कि केंद्र सरकार जल्द ही इस मामले की सीबीआई जांच के लिए निर्णय लेगी।

जानिए क्या है पूरा मामला
भारत माला प्रोजेक्ट में जमीन अधिग्रहण मामले में 43 करोड़ का घोटाला हुआ है। जमीन को टुकड़ों में बांटकर एनएचएआई को 78 करोड़ का भुगतान दिखाया गया। एसडीएम, पटवारी और भू-माफिया के सिंडिकेट ने बैक डेट पर दस्तावेज बनाकर घोटाले को अंजाम दिया। इस मामले में जगदलपुर निगम कमिश्नर निर्भय साहू को सस्पेंड किया गया था। शशिकांत और निर्भय पर जांच रिपोर्ट तैयार होने के 6 महीने बाद कार्रवाई हुई थी। निर्भय कुमार साहू सहित पांच अधिकारी-कर्मचारियों पर 43 करोड़ 18 लाख रुपए से अधिक राशि की गड़बड़ी का आरोप है।

जमीन को टुकड़ों में बांटा, 80 नए नाम चढ़ाए
राजस्व विभाग के मुताबिक मुआवजा करीब 29.5 करोड़ का होता है। अभनपुर के ग्राम नायकबांधा और उरला में भू-माफियाओं ने राजस्व अधिकारियों के साथ मिलकर जमीन को छोटे टुकड़ों में काटकर 159 खसरे में बांट दिया। मुआवजा के लिए 80 नए नाम रिकॉर्ड में चढ़ा दिया गया, जिससे 559 मीटर जमीन की कीमत करीब 29.5 करोड़ से बढ़कर 78 करोड़ रुपए पहुंच गई। अभनपुर बेल्ट में 9.38 किलोमीटर के लिए 324 करोड़ मुआवजा राशि निर्धारित की गई, जिसमें से 246 करोड़ रुपए मुआवजा दिया जा चुका है। वहीं 78 करोड़ रुपए का भुगतान अभी रोक दिया गया है।

बैक डेट पर दस्तावेजों में गड़बड़ी करने की पुष्टि
अवर सचिव के निर्देश पर बनी जांच रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है कि अभनपुर इलाके में पदस्थ अधिकारियों ने बैक डेट में जाकर दस्तावेजों में गड़बड़ी की और जमीन मालिक को नुकसान पहुंचाया। इसका खुलासा इस बात से अफसरों ने किया कि अभनपुर के ग्राम नायकबांधा और उरला में चार एकड़ जमीन जो सर्वे से पहले एक परिवार के पास थी। वो सर्वे होने के ठीक कुछ दिन पहले एक ही परिवार के 14 लोगों के नाम पर बांट दी गई। इसके बाद एक ही परिवार के सदस्यों को 70 करोड़ रुपए की मुआवजा का भुगतान कर दिया गया। जांच अधिकारियों ने तत्कालीन अफसरों की इस कार्यप्रणाली का सीधा जिक्र अपनी जांच रिपोर्ट में किया है।

एनएचएआई की टीम ने भी जताई थी आपत्ति
रायपुर विशाखापट्नम इकोनॉमिक कॉरिडोर में हुई आर्थिक गड़बडी पर एनएचएआई के अधिकारियों ने भी आपत्ति जताई थी। एनएचएआई की आपत्ति के बाद जांच रिपोर्ट को सचिव राजस्व विभाग को भेजा गया था और मुआवजा वितरण रोका गया था।

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