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0 छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और तेलंगाना के फोर्स का संयुक्त ऑपरेशन लांच
जगदलपुर। नक्सलियों के टैक्टिकल काउंटर ऑफेंसिव कैंपेन (टीसीओसी) के दौरान छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और तेलंगाना राज्य की फोर्स ने सबसे बड़ा संयुक्त ऑपरेशन लॉन्च किया है। इसमें 10 हजार सुरक्षाबल शामिल हैं। करीब 5 हजार फीट ऊंचा पहाड़, 44 डिग्री तापमान और लो ऑक्सीजन लेवल यह कर्रेगट्टा के पहाड़ की स्थिति है। ये वही पहाड़ है जहां नक्सली कमांडर हिड़मा, देवा, दामोदर समेत करीब 2000 से ज्यादा नक्सलियों का डेरा है। इसे चारों ओर से जवानों ने घेर रखा है। 

करीब 5 हजार जवानों का जॉइंट ऑपरेशन
इस इलाके में पिछले 4 दिनों से नक्सलियों के खिलाफ 5 से 8 हजार जवानों का जॉइंट ऑपरेशन चल रहा है। अब तक रुक-रुककर हुई गोलीबारी में 6 नक्सलियों के मारे जाने की खबर है। हालांकि, पुलिस ने 3 महिला नक्सली के शव और भारी मात्रा में हथियार बरामद कर लिए हैं। इलाका इतना बड़ा है कि पिछले 3-4 दिनों से फोर्स जंगल और पहाड़ों में सिर्फ पैदल चल रही है।

नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई
बस्तर के आईजी सुंदरराज पी. इस ऑपरेशन को नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई बताया है। वहीं सूत्रों की मानें तो करीब 200 नक्सली भी पहाड़ की चोटी पर जंग की तैयारी कर रहे हैं। असला-बारूद इकट्ठा कर रखे हैं। हालांकि, नक्सलियों के पास राशन की कमी है। उस इलाके में जिस तरह से फोर्स भेजी जा रही है, इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह ऑपरेशन लगभग 15 दिनों से ज्यादा चलेगा। वहीं मुठभेड़ हुई तो नक्सलियों को भारी नुकसान होने की संभावना है।
 
आसान नहीं किले को भेदना, ये है बड़ी चुनौती
कर्रेगट्टा, कोत्तापल्ली, पुजारी कांकेर, धर्मावरम, नम्बी के ऊपरी हिस्से को नक्सलियों का अभेद किला कहा जाता है। यहां छत्तीसगढ़ और तेलंगाना स्टेट कमेटी के सैकड़ों नक्सलियों का डेरा है। यहीं से नक्सल संगठन ऑपरेट होता है। यहां मौजूद नक्सली आधुनिक हथियारों से लैस हैं। यहां की भौगोलिक स्थिति से नक्सली अच्छी तरह वाकिफ हैं, लेकिन यहां तक पहुंचना फोर्स के लिए बड़ी चुनौती है। पहली चुनौती पहाड़ के चारों तरफ नक्सलियों ने सैकड़ों बम बिछा रखे हैं। कई सीरियल आईईडी भी प्लांट है। ऐसे में जवान बम से बचते, बम को खोजते हुए आगे बढ़ रहे हैं। करीब 44 डिग्री तापमान के बीच हथियार और राशन के साथ खड़े पहाड़ की चढ़ाई करना आसान नहीं। उधर, हाइट से नक्सलियों ने गोलियां बरसाईं तो जवानों को भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।

पैदल चल रही फोर्स
हाथों में हथियार, मैग्जीन पाउच, 5 से 6 लीटर पानी की बोतल, राशन सामान के साथ लगभग 30 से 35 किलो का सामान लादकर जवान पिछले 3-4 दिनों से सिर्फ पैदल चल रहे हैं। लगातार ऑपरेशन चलता रहा और जवान पैदल चलते रहे तो शरीर में पानी की कमी से बॉडी डिहाइड्रेट हो सकती है।
पहाड़ में पानी का भी ज्यादा सोर्स नहीं है। कुछ पहाड़ी नाले हैं जिससे जवान अपने पास रखी पानी की बोतलें भर आगे बढ़ रहे हैं। हालांकि, ये चुनौती अब नक्सलियों के लिए भी है। जिन बरसाती नालों से नक्सली पानी लेते थे, अधिकांश जगह फोर्स पहुंच गई है। नक्सलियों के पास भी अब एक ही ऑप्शन बचा है, नीचे मैसेज पहुंचाएं और हथियार डाल दें।

तेलंगाना के वेंकटपुरम से कंट्रोल
इस ऑपरेशन को छत्तीसगढ़ से लगे तेलंगाना के मुलुगु जिले के वेंकटपुरम से कंट्रोल किया जा रहा है। बस्तर के आईजी सुंदरराज पी भी यहीं हैं। वहीं यहां से करीब 30 से 35 किमी दूर स्थित चेरला विलेज को लॉन्च पैड बनाया गया है। यहां 3 एमआई-17 हेलीकॉप्टर से जवानों और रसद सामान को मौके के लिए भेजा जा रहा है। बैकअप के लिए बीजापुर में भी सेना का 2 हेलीकॉप्टर रखा गया है।

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