0 50 लाख कर्मचारियों और 69 लाख पेंशनरों को फायदा होगा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मंगलवार, 28 अक्टूबर को 8वें वेतन आयोग के टर्म्स ऑफ रेफरेंस यानी शर्तों को मंजूरी दे दी है। अब कमीशन के गठन के बाद ये अपनी सिफारिशें 18 महीने के अंदर देगा। इसके बाद 1 जनवरी 2026 से नया वेतन मान लागू हो सकता है।
हालांकि, पुराने ट्रेंड को देखते हुए सिफारिशों को पूरी तरह इम्प्लीमेंट होने में 2028 तक का इंतजार करना पड़ सकता है। यानी, कर्मचारियों को 17-18 महीने का एरियर एकमुश्त या किस्तों में मिलेगा। इससे 50 लाख कर्मचारियों और 69 लाख पेंशनर्स को फायदा होगा।
सरकार ने जनवरी 2025 में ही इस कमीशन के गठन का ऐलान किया था। अब टर्म्स ऑफ रेफरेंस को मंजूरी देने का मतलब ऐसे दस्तावेज से है जो बताता है कि आयोग का काम क्या है, काम कैसे होगा, कितने समय में होगा, कौन-कौन शामिल होंगे।
रंजन प्रकाश देसाई होंगी कमीशन की चेयरपर्सन
कमीशन की चेयरपर्सन सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजन प्रकाश देसाई होंगी। IIM बेंगलुरु के प्रोफेसर पुलक घोष पार्ट-टाइम मेंबर और पेट्रोलियम एंड नेचुरल गैस के सेक्रेटरी पंकज जैन 8वें वेतन आयोग के मेंबर-सेक्रेटरी होंगे।
समझिए 8वें वेतन मान का सैलरी कैलकुलेशन
बेसिक सैलरी में कितनी बढ़ोतरी होगी, ये फिटमेंट फैक्टर और डीए मर्जर पर निर्भर करता है। 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 था। 8वें में ये 2.46 हो सकता है। हर वेतन आयोग में डीए जीरो से शुरू होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि नई बेसिक सैलरी पहले से ही महंगाई को ध्यान में रखकर बढ़ाई जाती है। इसके बाद डीए फिर से धीरे-धीरे बढ़ता है। अभी डीए बेसिक पे का 55% है। डीए के हटने से टोटल सैलरी (बेसिक +डीए + एचआरए) में बढ़ोतरी थोड़ी कम दिख सकती है, क्योंकि 55% डीए का हिस्सा हट जाएगा।
पिछले वेतन आयोग कब बने, कब लागू हुए?
5वां वेतन आयोग: ये अप्रैल 1994 में गठित हुआ था। रिपोर्ट जनवरी 1997 में सरकार को सौंपी गई, लेकिन सिफारिशें 1 जनवरी 1996 से ही लागू हो गईं। पहले 51 पे स्केल्स थे, इन्हें घटाकर 34 कर दिया।
छठा वेतन आयोग: ये 20 अक्टूबर 2006 को स्थापित हुआ रिपोर्ट मार्च 2008 में तैयार होकर सरकार के पास पहुंची। अगस्त 2008 में रिपोर्ट को मंजूरी मिली और सिफारिशें 1 जनवरी 2006 से लागू हुईं।
7वां वेतन आयोग: फरवरी 2014 में ये बना और मार्च 2014 तक टर्म्स ऑफ रेफरेंस फाइनल हो गए। रिपोर्ट नवंबर 2015 में सौंपी गई। जून 2016 में सरकार ने अप्रूव किया और सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू हो गईं।