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0 20 साल बाद आर्थिक मुद्दों पर बातचीत
0 भारत ने बांग्लादेश की ट्रांजिट सुविधा रोकी थी
इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने बांग्लादेश को अपने कराची पोर्ट का इस्तेमाल करने की पेशकश की है। यह प्रस्ताव दोनों देशों के बीच सोमवार को ढाका में हुई पाकिस्तान-बांग्लादेश जॉइंट इकोनॉमिक कमीशन (जेईसी) की 9वीं बैठक में रखा गया। यह बैठक करीब 20 साल बाद हुई थी। पाकिस्तान का कहना है कि कराची पोर्ट का इस्तेमाल बांग्लादेश को चीन, खाड़ी देशों और सेंट्रल एशिया के बाजारों तक आसान पहुंच दिला सकता है।

भारत सरकार ने 8 अप्रैल, 2025 को एक सर्कुलर जारी करके बांग्लादेश को तीसरे देश-निर्यात के लिए भारत की जमीन से सामान गुजारने (ट्रांस-शिपमेंट) की सुविधा खत्म कर दी थी। इस फैसले के तहत, बांग्लादेशी माल अब भारत के लैंड कस्टम स्टेशनों (एलसीएस) से होकर, भारत के किसी बंदरगाह या एयरपोर्ट से तीसरे देश नहीं जा सकता था।

बांग्लादेश से जूट खरीद सकता है पाकिस्तान
बैठक में पाकिस्तान ने बांग्लादेश से जूट इंपोर्ट करने में इंट्रेस्ट दिखाया है। फिलहाल भारत बांग्लादेश का सबसे बड़ा जूट खरीदार है। भारत ने 2023 में करीब 95 मिलियन डॉलर का जूट आयात किया था। हालांकि भारत ने अगस्त में बांग्लादेशी जूट उत्पादों के बंदरगाहों से आने पर पाबंदी लगा दी थी। भारत ने कहा था कि बांग्लादेश की सब्सिडी से भारतीय उद्योग को नुकसान हो रहा है। इसके बाद जुलाई 2025 में बांग्लादेश के जूट निर्यात की कमाई घटकर 12.9 मिलियन डॉलर से सिर्फ 3.4 मिलियन डॉलर रह गई।
इसके जवाब में बांग्लादेश ने भारत से धागा (यार्न) इंपोर्ट बंद कर दिया और कई लैंड पोर्ट जैसे बेनापोल, भोमरा, सोनामसजिद, बंगलबंधा, बुरीमारी से इंपोर्ट रोक दिया। बैठक में पाकिस्तान ने प्रस्ताव रखा कि बांग्लादेश अपने जूट उत्पादों के निर्यात के लिए कराची बंदरगाह का इस्तेमाल कर सकता है।

बांग्लादेशी कारोबारियों को ट्रेनिंग का भी ऑफर
रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान ने बांग्लादेशी कारोबारियों के लिए 500 स्कॉलरशिप और तकनीकी प्रशिक्षण सीटें बढ़ाने की भी घोषणा की है। दोनों देशों ने इन प्रस्तावों पर आगे काम करने के लिए एक जॉइंट वर्किंग ग्रुप बनाने का फैसला लिया है। कई एक्सपर्ट्स इस प्रस्ताव को दक्षिण एशिया में बदलते क्षेत्रीय समीकरणों से जोड़कर देख रहे हैं। भारत-बांग्लादेश के बीच हाल के महीनों में कुछ व्यापारिक मतभेद सामने आए हैं। ऐसे में पाकिस्तान का यह कदम अपने लिए एक नया आर्थिक और कूटनीतिक अवसर बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि कराची पोर्ट तक बांग्लादेश का समुद्री मार्ग लंबा है और इस प्रस्ताव को व्यावहारिक रूप देने में लागत और लॉजिस्टिक चुनौतियां भी सामने आएंगी।