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0 14 महीने पद पर रहेंगे; पेगासस केस की जांच कराई थी
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज जस्टिस सूर्यकांत को देश का 53वां चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) नियुक्त किया गया है। वे 24 नवंबर को शपथ लेंगे। कानून मंत्रालय ने गुरुवार को यह जानकारी दी। वे मौजूदा सीजेआई भूषण रामकृष्ण गवई की जगह लेंगे।
सीजेआई गवई का कार्यकाल 23 नवंबर को खत्म हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट के जज 65 साल की उम्र में रिटायर होते हैं। जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल करीब 14 महीने का होगा। वे 9 फरवरी 2027 को रिटायर होंगे। सीजेआई गवई ने सोमवार को केंद्र सरकार से उनके नाम की सिफारिश की थी।
जस्टिस सूर्यकांत ने न्यायपालिका की 20 साल की सेवा में कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए। पेगासस जासूसी मामले में वे उस बेंच का हिस्सा रहे, जिसने साइबर विशेषज्ञों की कमेटी बनाकर मामले की जांच करवाई। इसके साथ सीजेआई नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। परंपरा है कि मौजूदा सीजेआई अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश तभी करते हैं, जब उन्हें कानून मंत्रालय से ऐसा करने को कहा जाता है। मौजूदा सीजेआई गवई का कार्यकाल 23 नवंबर को खत्म हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट के जज 65 साल की उम्र में रिटायर होते हैं।  
सीजेआई बनने वाले हरियाणा के पहले शख्स
जस्टिस सूर्यकांत इंडियन ज्युडिशियरी की टॉप पोस्ट पर पहुंचने वाले हरियाणा से पहले शख्स होंगे। उनके नाम की सिफारिश करते हुए सीजेआई गवई ने कहा कि जस्टिस सूर्यकांत सुप्रीम कोर्ट की कमान संभालने के लिए उपयुक्त और सक्षम हैं।
10वीं की परीक्षा देने गए तब पहली बार शहर देखा था
जस्टिस सूर्यकांत की हरियाणा की यात्रा हिसार के एक गुमनाम से गांव पेटवाड़ से शुरू हुई। वे सत्ता के गलियारों से जुड़े विशेषाधिकारों से दूर पले-बढ़े। उनके पिता एक शिक्षक थे। 8वीं तक उन्होंने गांव के स्कूल में ही पढ़ाई की, जहां बैठने के लिए बेंच नहीं थी। दूसरे गांव वालों की तरह जस्टिस सूर्यकांत ने अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए खाली समय में खेतों में काम किया। पहली बार शहर तब देखा जब वे 10वीं की बोर्ड परीक्षा देने हिसार के एक छोटे से कस्बे हांसी गए थे।
जस्टिस सूर्यकांत के यादगार फैसले
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत कई कांस्टीट्यूशनल बेंच का हिस्सा रहे हैं। अपने कार्यकाल के दौरान वे संवैधानिक, मानवाधिकार और प्रशासनिक कानून से जुड़े मामलों को कवर करने वाले 1000 से ज्यादा फैसलों में शामिल रहे। उनके बड़े फैसलों में आर्टिकल 370 को निरस्त करने के 2023 के फैसले को बरकरार रखना भी शामिल है।
 
					 
					 
													
					                                