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0 डील हुई तो वी की कमान संभालेगी; बिड़ला ग्रुप और वोडाफोन की हिस्सेदारी घटेगी
नई दिल्ली। टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन-आइडिया (वी) में अमेरिकी प्राइवेट इक्विटी फर्म टिलमैन ग्लोबल होल्डिंग्स (टीजीएच) 4 से 6 बिलियन डॉलर (35,000-52,000 करोड़) तक का निवेश कर सकती है। कंपनी इस डील के लिए बातचीत कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक टीजीएच यह डील तभी पूरी करेगी जब सरकार कंपनी की बकाया एजीआर और स्पेक्ट्रम देनदारी पर राहत पैकेज देगी।

अगर यह डील फाइनल होती है तो टीजीएच कंपनी का प्रमोटर स्टेटस हासिल करेगा और आदित्य बिड़ला ग्रुप व यूके की वोडाफोन ग्रुप का नियंत्रण कम हो जाएगा। सरकार, जो फिलहाल लगभग 49% हिस्सेदारी रखती है, निष्क्रिय निवेशक के तौर पर बनी रहेगी।

टीजीएच ने सरकार को बताई निवेश की शर्तें
टीजीएच ने सरकार को एक डिटेल्ड प्लान सौंपा है। इसमें कहा गया है कि फर्म को किसी तरह की बकाया माफी नहीं चाहिए, बल्कि देनदारियों के पुनर्गठन की मांग है। डील तभी आगे बढ़ेगी जब सरकार राहत पैकेज और निवेश को एक साथ मंजूरी दे। टीजीएच डिजिटल और एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करती है। इसके चेयरमैन संजय आहुजा 2003 से 2007 के बीच फ्रेंच टेलीकॉम कंपनी ऑरेंज को घाटे से फायदे में पहुंचने के लिए जाने जाते हैं। कंपनी के पास फाइबर और टावर इंफ्रा में वैश्विक निवेश है।

वोडाफोन-आइडिया की हालत कमजोर
वी ने 2024-25 में 24,000 करोड़ जुटाए, लेकिन कंपनी अब भी भारी कर्ज और नुकसान में है। इस साल उसे करीब 84,000 करोड़ की बकाया देनदारी (एजीआर और स्पेक्ट्रम फीस) चुकानी है।हालांकि सुप्रीम कोर्ट से कंपनी को हाल ही में राहत मिली है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं कि यह राहत पूरी एजीआर देनदारी पर लागू होगी या सिर्फ 9,000 करोड़ की अतिरिक्त मांग पर। डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस (डीओटी) ने पहले ही बकाया राहत के लिए कुछ विकल्प तैयार किए हैं।यदि सरकार सहमत होती है, तो टीजीएच निवेश के साथ कंपनी के संचालन की कमान संभाल सकता है।डील के बाद सरकार की हिस्सेदारी घटेगी, जबकि बिड़ला और वोडाफोन को एग्जिट का मौका मिल सकता है।