0 अब बोला- जरूरी नहीं
0 सुप्रीम कोर्ट ने अपना 6 महीने पुराना जजमेंट पलटा
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपना 6 महीने पहले दिया जजमेंट मंगलवार को 2:1 के बहुमत से पलट दिया। अब से केंद्र सरकार उन सभी प्रोजेक्ट्स को क्लियरेंस दे सकेगी, जिन्होंने पहले ग्रीन नॉर्म्स (पर्यावरण से जुड़े नियम) का पालन नहीं किया था।
दरअसल, 16 मई 2025 को जस्टिस अभय ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने कहा था कि कोई भी माइनिंग और डेवलपमेंट प्रोजेक्ट बिना एनवायरन्मेंटल क्लियरेंस (ईसी) लिए शुरू नहीं हो सकता।
कोर्ट ने पाया था कि कई माइनिंग और डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स पहले ही शुरू कर दिए गए थे, लेकिन एनवायरन्मेंटल क्लियरेंस बाद में लिया गया था। इसलिए पहले के फैसले में केंद्र सरकार को पोस्ट-फैक्टो (काम शुरू होने के बाद) मिलने वाली पर्यावरण मंजूरी देने से रोक दिया गया था। ये क्लियरेंस मिनिस्ट्री ऑफ एनवायर्नमेंट फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज (एमओईएफसीसी) या स्टेट एनवायर्नमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (एसईआईएए) से मिलता है। यह प्रोजेक्ट के साइज और प्रभाव पर निर्भर करता है।
इस मामले में सीजेआई बीआर गवई ने कहा कि पहले के दो बड़े फैसलों में बताया गया था कि खास मामलों में पोस्ट-फैक्टो (ईसी) दी जा सकती है। एलेम्बिक फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड (2020) केस में कोर्ट ने कहा था कि सामान्य तौर पर ऐसी मंजूरी नहीं मिलनी चाहिए, लेकिन फिर भी कंपनियों को जुर्माना लगाकर मंजूरी वैध कर दी गई थी। डी. स्वामी बनाम कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मामले में, यह माना गया था कि भी कोर्ट ने माना था कि कुछ मामलों में मंजूरी दी जा सकती है। वनशक्ति वाला फैसला इन दोनों पुराने फैसलों को देखे बिना सुना दिया गया, जबकि इन्हें ध्यान में रखना जरूरी था।
2021 और 2024 के सरकारी नियमों में ये साफ लिखा है कि पोस्ट-फैक्टो ईसी सिर्फ उन्हीं कामों को दी जा सकती है जो पहले से कानूनन अनुमति वाले हों, और वह भी जुर्माना भरने के बाद। उन्होंने बताया कि अगर किसी प्रोजेक्ट की यह मंजूरी अमान्य मानी जाए, तो फिर उसे ढहा कर दोबारा मंजूरी लेनी पड़ेगी। लेकिन इतने बड़े-बड़े निर्माण गिराने से प्रदूषण कम नहीं, उलटा बढ़ेगा, इसलिए यह जनता के हित में नहीं होगा। वनशक्ति फैसले में पहले से दी गई पोस्ट-फैक्टो (ईसी) को तो सुरक्षित रखा गया, लेकिन आगे ऐसी मंजूरी देने पर रोक लगा दी गई, जिससे पुराने और नए प्रोजेक्ट के बीच असमानता पैदा होती है।
इसी वजह से उन्होंने फैसला वापस लेने का निर्णय किया और कहा कि यह मामला अब बड़ी बेंच के पास भेजा जाएगा।