नई दिल्ली। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि भारत मौजूदा समय में 14 देशों और देश के समूह के साथ मुक्त व्यापार संधि (एफटीए) पर बात कर रहा है जिसमें कुल 50 देश शामिल हैं।
श्री गोयल ने यहां उद्योग मंडल फिक्की के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले कुछ समय में हमने देखा है कि किस तरह से व्यापार को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया गया है। इस दौरान हमने दुनिया में विश्वसनीय सहयोगियों की जरूरत को भी महसूस किया है और यह समझा है कि हमें उन देशों के साथ मिलकर काम करना चाहिए जो निष्पक्ष व्यापार और समान अवसर में विश्वास करते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत ने ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात, मॉरीशस, ब्रिटेन और चार देशों के यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) समूह के साथ पहले ही एफटीए को मूर्त रूप दे दिया है। भारत इस समय 14 देशों या देशों के समूहों के साथ वार्ता कर रहा है जिसमें कुल 50 देश शामिल हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत उन देशों के साथ एफटीए पर बात कर रहा है जो हमारे व्यापार के लिए महत्वपूर्ण है और विकसित देश है ताकि हम एक दूसरे के पूरक बन सकें।
उन्होंने कहा कि भारत के साथ दुनिया के सभी देश एफटीए करना चाहते हैं क्योंकि यहां ऐसी सरकार है जिसकी नीति कारोबार और सार्वजनिक हित को बढ़ावा देती है। यहां कारोबार की आसानी है, हमने प्रासंगिकता खो चुके पुराने नियमों को बदला है। यहां युवा आबादी है जो टेक्नोलॉजी को तेजी से अपनाने में सक्षम है।
अनुसंधान एवं विकास ( आरएंडडी) के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि हमारे युवा आरएंडडी को अपनाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं, लेकिन इसके साथ ही उद्योग जगत से अपील की कि वह भी इसमें अपनी भूमिका निभाये। उन्होंने कहा कि यदि सरकार 1.20 करोड डॉलर आरएंडडी के लिए देती है तो इससे निजी और विदेशी उद्योगों को प्रोत्साहित होकर इसमें और पैसा लगाना चाहिये, और यह अपेक्षा की जाती है कि कम से कम 15 करोड़ डॉलर का आरएंडडी होगा।
श्री गोयल ने देश की अर्थव्यवस्था के मजबूत संकेतकों का जिक्र करते हुए कहा कि इस समय देश का विदेशी मुद्रा भंडार ऐतिहासिक स्तर पर है। मुद्रास्फीति की दर एक दशक में सबसे कम है। ब्याज दर कम बनी हुई है। बैंकों का एनपीए आधा फीसदी से भी कम है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर ऊंची बनी हुई है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पहले यह माना जाता था कि अच्छी अर्थव्यवस्था और अच्छी राजनीति एक साथ नहीं हो सकती, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस अवधारणा को खंडित कर दिया है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता हमारे देश के डीएनए में है। आज यह हमारा मिशन बन चुका है।