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0 20 साल में 20 लाख के लोन पर करीब 74 हजार का फायदा 
मुंबई/नई दिल्ली। आने वाले दिनों में लोन सस्ते हो जाएंगे। मौजूदा ईएमआई भी घट जाएगी। आरबीआई ने रेपो रेट को 0.25% घटाकर 5.25% कर दिया है। इस कटौती का फैसला मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी की 3 से 5 दिसंबर तक चली मीटिंग में लिया गया। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने 5 दिसंबर को इसकी जानकारी दी।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई जिस रेट पर बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट कहते हैं। जब आरबीआई रेपो रेट घटाता है, तो बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है और वो इस फायदे को ग्राहकों तक पहुंचाते हैं। यानी, आने वाले दिनों में होम और ऑटो जैसे लोन 0.25% तक सस्ते हो जाएंगे। ताजा कटौती के बाद 20 साल के 20 लाख के लोन पर ईएमआई 310 रुपए तक घट जाएगी। इसी तरह 30 लाख के लोन पर ईएमआई 465 रुपए तक घट जाएगी। नए और मौजूदा ग्राहकों दोनों को इसका फायदा मिलेगा।

रेपो रेट के घटने से हाउसिंग डिमांड बढ़ेगी
रेपो रेट घटने के बाद बैंक भी हाउसिंग और ऑटो जैसे लोन्स पर ब्याज दरें कम करते हैं। ब्याज दरें कम होने पर हाउसिंग डिमांड बढ़ेगी। ज्यादा लोग रियल एस्टेट में निवेश कर सकेंगे। इससे रियल एस्टेट सेक्टर को बूस्ट मिलेगा।

इस साल 4 बार घटी रेपो रेट, 1.25% की कटौती हुई
आरबीआई ने फरवरी में हुई मीटिंग में ब्याज दरों को 6.5% से घटाकर 6.25% कर दिया था। मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की ओर से ये कटौती करीब 5 साल बाद की गई थी। दूसरी बार अप्रैल में हुई मीटिंग में भी ब्याज दर 0.25% घटाई गई। जून में तीसरी बार दरों में 0.50% कटौती हुई। अब एक बार फिर इसमें 0.25% की कटौती की गई है। यानी, मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने तीन बार में ब्याज दरें 1.25% घटाई।

रेपो दर में कटौती से रियल एस्टेट सेक्टर को बूस्ट मिलेगा
अल्फा कॉर्प डेवलपमेंट लिमिटेड के सीएफओ और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर संतोष अग्रवाल ने कहा कि आरबीआई द्वारा रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर इसे 5.25% करना एक अच्छा कदम है। यह फैसला आर्थिक स्थिरता को मजबूत करता है और महंगाई को नियंत्रित रखने में भी मदद करता है। रियल एस्टेट सेक्टर के लिए यह मददगार है क्योंकि इससे लोन की लागत स्थिर रहती है और डेवलपर्स अपनी पूंजी का सही इस्तेमाल हेतु आसानी से योजना बना सकते हैं। एक्शन कंस्ट्रक्शन इक्विपमेंट (एसीई) के सीएफओ राजन लूथरा ने कहा कि आरबीआई का रेपो रेट 25 बेसिस पॉइंट्स घटाकर 5.25 परसेंट करने का फैसला, कंस्ट्रक्शन इक्विपमेंट जैसे कैपिटल-इंटेंसिव सेक्टर के लिए सही समय पर और सकारात्मक कदम है। कम ब्याज दर से लोन सस्ता होगा, लिक्विडिटी बेहतर होती है, और बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की बेहतर प्लानिंग और एग्जीक्यूशन में मदद मिलती है।

रेपो रेट क्या है, इससे लोन कैसे सस्ता होता है?
आरबीआई जिस ब्याज दर पर बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट कम होने से बैंक को कम ब्याज पर लोन मिलेगा। बैंकों को लोन सस्ता मिलता है, तो वो अकसर इसका फायदा ग्राहकों को पास कर देते हैं। यानी, बैंक भी अपनी ब्याज दरें घटा देते हैं।