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0 11 महीने में 5 बड़े नेताओं ने भाजपा छोड़ी

कोलकाता। पश्चिम बंगाल के बैरकपुर से भाजपा सांसद अर्जुन सिंह ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया है। अर्जुन सिंह ने टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी के सामने पार्टी की सदस्यता ली। सिंह बंगाल भाजपा के वाइस प्रेसिडेंट भी थे, वह 2019 चुनाव से पहले भाजपा में आए थे और बैरकपुर से सांसद बने थे। सिंह बंगाल विधानसभा में भाटपारा से 4 बार विधायक रह चुके हैं। पिछले 11 महीने में बंगाल भाजपा के 5 बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके हैं।

बता दें कि बंगाल चुनाव में सफलता नहीं मिलने के बाद जून 2021 में कद्दावर नेता मुकुल रॉय ने भाजपा छोड़ दी थी। इसके बाद राजीब बनर्जी, बाबुल सुप्रियो, विश्वजीत दास जैसे नेताओं ने भी तृणमूल का दामन थाम लिया। राजीब बनर्जी त्रिपुरा प्रभारी हैं, जबकि बाबुल सांसदी छोड़ विधायक बने हैं।

भाजपा पर तंज कसते हुए अर्जुन सिंह ने कहा कि AC कमरों में बैठकर राजनीति नहीं की जा सकती। इसके लिए आपको लोगों के बीच पहुंच बनानी होगी, जिस राजनीतिक दल में दूसरे की तरफ उंगली दिखाने की कोशिश की जाती है, उसी भाजपा में TMC के 2 सांसद आज भी वहीं हैं, जिन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है। मैं उनसे निवेदन करूंगा कि वे दोनों सांसद इस्तीफा दें।

सुबह से नहीं उठा रहे थे हाईकमान का फोन
अर्जुन सिंह पिछले 6 महीने से लगातार साइड लाइन होने की वजह से नाराज चल रहे थे। सिंह की अभिषेक बनर्जी से मुलाकात की खबर के बाद भाजपा उन्हें मनाने के लिए एक्टिव हुई, लेकिन सूत्रों का कहना है कि उन्होंने हाईकमान का फोन रिसीव नहीं किया।

सांसदी से इस्तीफा नहीं देंगे अर्जुन सिंह
तृणमूल में आने के बाद अर्जुन सिंह ने कहा कि मैं अभी सांसदी से इस्तीफा नहीं दूंगा। उन्होंने कहा कि तृणमूल से भाजपा में गए 2 सांसद जिस दिन इस्तीफा देंगे, उस दिन मैं भी दे दूंगा‌। बता दें कि तृणमूल सांसद शिशिर अधिकारी (शुभेंदु अधिकारी के पिता) और सुनील मंडल ने अमित शाह की एक सभा में भाजपा की सदस्यता ली थी, लेकिन अब तक उनकी सदस्यता बरकरार है। फिलहाल यह मामला लोकसभा स्पीकर के पास है‌।

बैरकपुर में तृणमूल के पास नहीं था कोई बड़ा चेहरा
2019 के लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने के बाद अर्जुन सिंह ने भाजपा का दामन थाम लिया था। तृणमूल के दिग्गज नेता दिनेश त्रिवेदी को बैरकरपुर सीट से हराया था। हालांकि 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले त्रिवेदी भी भाजपा में शामिल हो गए थे, जिसके बाद यहां तृणमूल के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं बचा था।

जूट मिल का मुद्दा बना पार्टी छोड़ने का अहम कारण
अर्जुन सिंह पिछले कई महीनों से जूट किसानों की मांग को लेकर अपनी ही केंद्र सरकार के खिलाफ हमलावर थे। दरअसल, केंद्रीय जूट आयोग ने कच्चे जूट की कीमतें तय कर दी, जिसके बाद बंगाल में कच्चा जूट जरूरत से भी कम मिलने लगा। इसको लेकर सिंह लगातार केंद्र के खिलाफ मुखर रहे। सिंह जिस क्षेत्र से आते हैं, वो जूट मिल का गढ़ कहा जाता है। वहां पर 20 में से 10 मिलें पिछले दिनों बंद हो गई थीं। इसके बाद से ही सिंह अपनी उपेक्षा के चलते हाईकमान से नाराज चल रहे थे।